नई दिल्ली। पाकिस्तान भले ही अनुच्छेद 370 खत्म करने के लिए भारत को कितनी ही धमकी न दे, लेकिन वह इस सच्चाई से नहीं भाग सकता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अलग थलक पड़ चुका है। पाकिस्तान को उसके सबसे करीबी माने जाने वाले चीन से भी बड़ा झटका मिला है।

चीन ने साफ कह दिया है कि ये उनका मामला है जबकि यूएई ने भारत द्वारा अनुच्छेद 370 खत्म करने पर भारत का साथ देते हुए कहा है कि कश्मीर की बेहतरी के लिए फैसले लेने का अधिकार भारत सरकार के पास है।

पाकिस्तान भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को बड़ा मुद्दा बनाकर सहानुभूति बटोरना चाहता है, लेकिन हर जगह उसे असफलता ही मिल रही है। अमेरिका ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। जबकि यूएन ने भी पाकिस्तान और भारत से सीमा पर शांति बनाने की अपील है।

अब पाकिस्तान के सबसे बड़े रणनीतिक साझेदार चीन ने भी साफ कह दिया है कि ये जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म भारत सरकार का मामला है और वह पाकिस्तान और भारत के मुद्दे पर किसी तरह का दखल नहीं देगा। असल में चीन को अच्छी तरह से मालूम है कि इस मामले में पाकिस्तान का साथ देने पर उसे उसके कई विवादित मुद्दों पर भारत का साथ नहीं मिलेगा। 

इस बारे में चीन के प्रवक्ता ने कहा कि अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से खत्म करना यह उसका मसला है। इस मसले पर चीन का रुख स्पष्ट और सुसंगत है। गौरतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर के जरिए मुस्लिम देशों को एकजुट कर भारत पर दबाव बनाने की धमकी दे रहा था। लेकिन ये महज धमकी ही साबित हुई हैं।

किसी भी मुस्लिम देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। वहीं पाकिस्तान के करीबी माने जाने वाले यूएई ने साफ कर दिया है कि भारत सरकार ने जो भी फैसला कश्मीर को लेकर लिया है वह उसका अधिकार है। कश्मीर की भलाई के लिए भारत जो चाहे वो कर सकता और किसी तीसरे देश का उसके बीच में दखल देना सही नहीं है।

लिहाजा पाकिस्तान को यूएई से ये बड़ा झटका लगा है। हालांकि कुछ महीनों पहले पाकिस्तान में मुस्लिम देशों के संगठन में भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बुलाए जाने का विरोध किया था। पाकिस्तान मुस्लिम देशों के संगठन का संस्थापक सदस्य है।

इसके बावजूद इस संगठन ने भारत को तरजीह दी थी। भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ अहमद अल बन्ना ने कहा कि कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 के कुछ प्रावधानों को हटाना भारत सरकार का अपना अंदरूनी मामला है।