नई दिल्ली। पाकिस्तान पर आर्थिक तौर पर कंगाली की तलवार लटकी हुई है। एफएटीएफ ने एक बार फिर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला है। हालांकि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक मौका दिया। ताकि वह अपने देश में आतंकी फंडिंग बंद करे और आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करे। लेकिन ऐसा करना पाकिस्तान की सरकार के बस में नहीं है। फिलहाल इस एफएटीएफ दो दिन पर इसकी आधिकारिक तौर घोषणा करेगा।

पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक में अभी तक पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिली है। क्योंकि ज्यादातर देश का समर्थन जुटाने में पाकिस्तान को कामयाबी नहीं मिली है। यहां तक कि पाकिस्तान के दोस्त चीन, तुर्की और मलेशिया ने उसका साथ नहीं दिया है। जिसके कारण उसकी मुश्किलें बढ़ी हुई है। हालांकि अभी तक एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में नहीं रखा है। इसके लिए उसने पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक का समय दिया है।

जिसके बाद पाकिस्तान का ब्लैक लिस्ट में आना तय है। क्योंकि पाकिस्तान में आतंकी कैंपों को चलाने की जिम्मेदारी वहां की खुफिया एजेंसी और सेना संभालती है। ऐसे में सरकार के पास किसी भी तरह की ताकत नहीं है कि वह आतंकियों पर लगाम लगा सके। फिलहाल पाकिस्तान में सेना का दखल सरकार में बढ़ रहा है। लिहाजा माना जा रहा है कि अगली बैठक में पाकिस्तान पूरी तरह ते ब्लैकलिस्ट में शामिल हो जाएगा।

फिलहाल एफएटीएफ बैठक के आखिरी दिन यानी 18 अक्टूबर को औपचारिक तौर पर फैसला पाकिस्तान के लिए फैसला करेगा। एफएटीएफ ने पाकिस्ताव द्वारा मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग को लेकर उठाए गए कदमों की समीक्षा की है। जिसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निर्देश दिया कि वह आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए कदम उठाए। एफएटीएफ पाकिस्तान को लेकर फरवरी 2020 में अंतिम फैसला करेगा।