आतंकवादी गतिविधियों को लगातार शह देने पर संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की लताड़ के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने आरएसएस, बीजेपी और योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर भारत में कट्टरवाद को बढ़ावा देने की दुहाई दी है। यूएन में पाकिस्तान के राजदूत साद वराईच ने रविवार को कहा कि, 'आज के असहिष्णु भारत में असहमति के लिए कोई जगह नहीं है.' साद ने आरएसएस पर फासीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। 

साद की बात यहीं खत्म नहीं हुई। साद ने बकायदा नाम लेकर भारत में संवैधानिक पदों की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे लोगों पर निशाना साधा, आरएसएस का जिक्र किया, बीजेपी का जिक्र किया। पाकिस्तानी राजदूत ने 'राइट टु रिप्लाई' के तहत जवाब देते हुए कहा कि, "आरएसएस हमारे क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला फासीवाद का केंद्र हैं"। साद ने यह भी कहा कि भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक अतिवादी हिंदू हैं, जो खुले तौर पर सिर्फ हिंदुत्व को बढ़ावा देते हैं।

"भारत में अल्पसंख्यक समुदाय लोगों, मुस्लिम और ईसाइयों का लिंचिंग की जाती है, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन घटनाओं का समर्थन करते हैं"। यह बात भी साद ने ही कही।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम लिए बगैर साद वराईच का उनपर यह हमला था कि "असम में रह रहे बंगाली अचानक से बेघर हो गए हैं और भारत का सीनियर नेता इन लोगों को 'दीमक' कहकर पुकारते हैं। भारत में चर्च और मस्जिदें जलाई जाती हैं। इसलिए उनको दूसरों को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है"।

'राइट टु रिप्लाई' के तहत ही भारतीय प्रतिनिधि एनम गंभीर ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, उसे हर मोर्चे पर बेनकाब किया। आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाकिस्तानी सरकार, सेना और एजेंसियों की हर नापाक हरकतों को बेपर्दा किया। पर इसी मुद्दे के बीच एक बड़ा तथ्य भारतीय राजनीति का भी है। 

याद कीजिएगा 2014 का दौर, तब आज के कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस को महात्मा गांधी का हत्यारा करार दिया था। इसको लेकर उनके खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है। अतिवादी इस्लामिक संगठनों से आरएसएस की तुलना कर देना। क्या इन बयानों ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ बोलने की जुर्रत को शह दिया, राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा की नजर में तो कम से कम ऐसा ही है।