नई दिल्ली। पाकिस्तान एफएटीएफ के शिकंजे से निकलने की पूरी कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसका साथ उसकी चांडाल चौकड़ी दे रही है। लेकिन अभी तक पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान की हर साजिश को विफल किया है। लेकिन अगर पाकिस्तान एक  बार फिर ग्रे लिस्ट में आता है तो ये  उसकी बड़ी हार मानी जाएगी। क्योंकि इस बार एफएटीएफ की अध्यक्षता उसका आका चीन कर रहा है और उसकी पूरी कोशिश है कि चीन को इस बार ग्रे लिस्ट से निकाला जाए।

फिलहाल पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए अगले कुछ दिन काफी अहम है। क्योंकि अगर पाकिस्तान को एफएटीएफ ने ब्लैक लिस्ट कर दिया तो वह कंगाल हो जाएगा और उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह के खत्म हो जाएगी और ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ जाए। क्योंकि पाकिस्तान को दुनिया की कोई भी एजेंसी कर्ज नहीं देगी। जबकि पाकिस्तान पहले से ही चीन के चंगुल में फंसा है। एफएटीएफ भी पाकिस्तान को लेकर नाराज है।

क्योंकि जिन बिंदुओं पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काम करने लिए दिया था। उन्हें करने में वह विफल रहा है। वहीं पश्चिम देश खासतौर से अमेरिका पाकिस्तान को लेकर नाराज है। जबकि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति से पाकिस्तान को बचाने की गुहार लगा चुके हैं। वहीं पाकिस्तान को उसका आका चीन बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है और इसमें उसका साथ उसके सहयोगी मलेशिया और तुर्की दे रहे हैं। लेकिन पश्चिमी देशों और भारत के सबूतों के सामने इन देशों का मुंह हो जा रहा है।

क्योंकि पाकिस्तान को लेकर एफएटीएफ की आंतरिक जांच भी सकारात्मक नहीं है। जबकि चीन इस बात की सिफारिश कर रहा कि पाकिस्तान ने पिछले एक साल के दौरान वहां पर आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही की है। वहीं पश्चिमी देश फिलहाल पाकिस्तान को किसी भी तरह की राहत देने के पक्ष में  नहीं हैं। इन देशों का मानना है कि पाकिस्तान अगर ब्लैकलिस्ट न भी हुआ तो ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना मुश्किल है। हालांकि बुधवार को एफएटीएफ प्लेनरी की जो बैठक पेरिस में शुरू हो रही है उसकी अध्यक्षता उसका आका चीन कर रहा है।

लिहाजा इस बात की पूरी उम्मीद की जा रहा है कि चीन पाकिस्तान को बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएगा और उसकी कोशिश ये रहेगी कि पाकिस्तान को पहले तो ब्लैक लिस्ट में जाने से बचाया जाए और अगर ऐसा नहीं हो सके तो उसे ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखा जाए। ताकि उस पर कड़े नियम ज्यादा न लगे और इसके साथ ही पाकिस्तान को एफएटीएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए समय मिल सके।