नई दिल्ली:  पाकिस्तान के लिए अगले हफ्ते होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ(FATF) की बैठक बेहद अहम है। क्योंकि इसी बैठक में यह तय किया जाएगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया जाए या नहीं। 

अगर यह संस्था पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर देती है तो उसे दुनिया में कहीं से कर्ज या आर्थिक मदद हासिल नहीं हो पाएगी। ऐसी स्थिति में पूरा पाकिस्तान दिवालिया हो जाएगा। 
दरअसल एफएटीएफ(FATF) दुनिया भर में आतंकी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी है। 

पाकिस्तान पहले से ही इसकी ग्रे लिस्ट में है। जिसकी वजह से उसपर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि संस्था ने पाया है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर एक्शन लेने में पाकिस्तान नाकाम रहा है। 

एफएटीएफ(FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालकर जैश और लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने वक्त दिया था इसके लिए उसे 27  एक्शन प्लान बताए गए थे। लेकिन पाकिस्तान ने शायद अभी तक इसके मुताबिक उचित कार्रवाई नहीं की है। जिसके बाद से उसपर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। 

पाकिस्तान की खराब माली हालत उसके नेताओं के बयानों में भी दिख रही है।

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के नाम संबोधन दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि 10 साल में पाकिस्तान का कर्ज़ 6000 अरब पाकिस्तानी रुपए से बढ़कर 30 हज़ार अरब पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है। इससे देश के पास अमेरिकी डॉलर की कमी हो गई। हमारे पास इतने डॉलर नहीं बचे कि हम अपने कर्ज़ों की किस्त चुका सकें। मुझे डर हैं कि कहीं पाकिस्तान डिफॉल्टर ना हो जाए। 

एफएटीएफ(FATF) की अगली बैठक ओरलैंडों में 16 जून से 21 जून के बीच होने वाली है। जिसमें पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है।