पाकिस्तान पर आर्थिक संकट मंडराया हुआ है। क्योंकि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उसे ग्रे लिस्ट में डाला हुआ है। एफएटीएफ ने साफ किया है कि अगर उनसे अपने देश में अगर आतंकी कैंपों को बंद नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दिया जाएगा। जिसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा।
नई दिल्ली। पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए नया पैंतरा चला है। उसने एक बार फिर एफएटीएफ से एक्शन प्लान पूरा करने के लिए मोहलत मांगी है। बीजिंग में इस बार बैठक हो रही है। जिसमें पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल इस तय सीमा को आगे बढ़ाने की मांग कर रहा है। हालांकि पिछली बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी तक का समय दिया था। इस बैठक के लिए पाकिस्तान ने 17 सदस्यों का दल भेजा है। ये बैठक आज तक चलेगी। जिसमें पाकिस्तान को लेकर फैसला होगा।
पाकिस्तान पर आर्थिक संकट मंडराया हुआ है। क्योंकि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उसे ग्रे लिस्ट में डाला हुआ है। एफएटीएफ ने साफ किया है कि अगर उनसे अपने देश में अगर आतंकी कैंपों को बंद नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दिया जाएगा। जिसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा। एफएटीएफ ने पिछली बैठक में 27 सूत्री एक्शन प्लान पर कदम उठाने के लिए कहा था।
हालांकि चीन और तुर्की को छोड़कर ज्यादातर देश पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में रखने के पक्ष में थे। लेकिन पाकिस्तान के इन दोनों देशों ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में जाने से बचा लिया। फिलहाल पाकिस्तान के लिए ये बैठक काफी अहम है। ये बैठक 21 जनवरी से 23 जनवरी तक बीजिंग में चल रही है। इस बैठक में पाकिस्तान के भाग्य का फैसला होगा। लेकिन इस बार भी पिछली बार की तरह ड्रैगन कोई नहीं चाल अपने इस गुर्गे को बचाने के लिए जरूर करेगा। बहरहाल इस साल अप्रैल में पेरिस में एफएटीएफ की पूर्ण बैठक होनी है। हालांकि पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे एक बार फिर उसके मित्र देश ग्रे सूची से निकालने में मदद करेंगे। फिलहाल पाकिस्तान कोशिश कर रहा है कि उसे इस साल जून या सितंबर 2020 तक किसी तरह मोहलत मिल जाए।
ताकि वह किसी तरह से इस बार बच जाए। एफएटीएफ से बचने के लिए पाकिस्तान का दावा है कि एफएटीएफ के नियमों के मुताबिक उसने मदरसों को स्कूल का दर्जा दे दिया है और प्रतिबंधित संगठनों की ओर से चलाए जा रहे चैरिटी संगठनों और मेडिकल डिस्पेंसरियों का संचालन केन्द्र सरकार के अधीन सरकारी स्वास्थ्य विभागों को दिया गया है। हालांकि सच्चाई इससे परे है। क्योंकि एफएटीएफ के एपीजी ग्रुप ने पहले ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दिया है। लेकिन उसके बावजूद चीन और तुर्की उसे पिछली बैठक में बचा लिया था।
Last Updated Jan 23, 2020, 10:54 AM IST