फिलहाल इस हड़ताल को टालने की इमरान खान सरकार की कोशिशों को धक्का लगा है। क्योंकि कारोबारियों और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा रही। फिलहाल इस बार बजट में भी पाकिस्तान की सरकार ने नए कर प्रावधान लगाए हैं। जिसको लेकर जनता में नाराजगी है। इस बंद को पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है।
आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेना इमरान सरकार की गले की हड्डी बन गया है। इस कर्ज के विरोध में अब वहां के कारोबारियों ने शनिवार को देशव्यापी हड़ताल का फैसला किया है। इस कर्ज को मिल जाने के बाद पाकिस्तान में रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं की कीमतों में करीब तीस फीसदी तक बढ़ोत्तरी हो सकती है।
कई देशों से कर्ज ले चुके पाकिस्तान की इमरान सरकार को आईएमएफ से भी कर्ज मिल गया है। फिलहाल अब ये आठ अरब डॉलर का कर्ज अब इमरान सरकार के गले की हड्डी बन गया है। सरकार को लगता है कि इस कर्ज से वह अपने देश की स्थिति को सुधार सकेंगे। लेकिन इस कर्ज के साथ ही पाकिस्तान की जनता की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गयी हैं।
क्योंकि आईएमएफ ने ये कर्ज पाकिस्तान को कड़ी शर्तों के साथ दिया। इसके मुताबिक अभी तक पाकिस्तान की सरकार जनता को जो करों में राहत दे रही थी, उसे वापस लेना होगा और साथ ही नए करों को लागू करना है। इसके साथ ही पाकिस्तान की सरकार को सरकारी नौकरियों में भी कटौती करनी होगी। ताकि सरकार पर आर्थिक बोझ कम हो सके।
यही नहीं पाकिस्तान की सरकार रोजमर्रा की जरूरतों के सामने पर जो टैक्स की राहत दे रही हैं। उसे भी खत्म करना होगा। लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि इस कर्ज के मिलने के बाद पाकिस्तान के वाशिंदों की मुश्किलों में इजाफा ही होगा। जानकारी के मुताबिक इस कर्ज को मिलने के बाद रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं की कीमतों में तीस फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।
लिहाजा पाकिस्तान के व्यापारिक संगठनों ने शनिवार को देशव्यापी बंद का आवाहन किया है। फिलहाल इस हड़ताल को टालने की इमरान खान सरकार की कोशिशों को धक्का लगा है। क्योंकि कारोबारियों और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा रही। फिलहाल इस बार बजट में भी पाकिस्तान की सरकार ने नए कर प्रावधान लगाए हैं।
जिसको लेकर जनता में नाराजगी है। इस बंद को पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है। कारोबारियों का कहना है कि ये हड़ताल इमरान सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि आईएमएफ के निर्देश पर बजट में किए गए 'कारोबारी विरोधी' कर प्रावधान के खिलाफ है। फिलहाल व्यापारी नए टैक्स को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
Last Updated Jul 12, 2019, 10:24 PM IST