आखिरकार पाकिस्तान सरकार को देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्दा कोष से कर्ज तो मिल गया है। पाकिस्तान की जनता को कर्ज मिलने से कोई खुशी नहीं बल्कि जनता पाकिस्तान सरकार का विरोध कर रही है। क्योंकि इस कर्ज के मिलने के बाद अब पाकिस्तान में महंगाई आसमान छूने लगेगी। क्योंकि कर्ज देने से पहले कोष ने ये शर्त लगाई थी कि सरकार जनता को दी जा रही रियायतों और टैक्स छूट को वापस लेगी।

आईएमएफ ने कड़ी शर्तों के साथ पाकिस्तान को दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान सरकार को इस कर्ज की सख्त जरूरत थी। क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। उसके पास रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए पैसा नहीं है। लिहाजा कर्ज मिलने के बाद वहां की जनता में खुशी के बजाए गम है।

क्योंकि इस कर्ज को पाने के ऐवज में पाकिस्तान की सरकार को जनता को दी जाने वाली रियायतों को वापस लेना होगा। इसके साथ ही देश में सरकारी नौकरी के अवसरों को कम करना होगा। फिलहाल कोष ने पाकिस्तान को आर्थिक योजना के लिए छह अरब डॉलर यानी 41 हजार करोड़ के कर्ज को मंजूरी दी है।

इसके कर्ज के बाद पाकिस्तान को अगले तीन सालों में अपने खर्चों में लगाम लगानी होगी और जिन उत्पादों पर सरकार रियायत दे रही है। उन्हें वापस लेना होगा। यही नहीं पाकिस्तान सरकार को जनता पर नए टैक्स को भी लगाना होगा। जिसका जनता विरोध कर रही है। इस कर्ज के मिलने के बाद पाकिस्तान में रोजमर्रा के उत्पादों की कीमतों में करीब तीस फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

फिलहाल आईएमएफ पाकिस्तान को किस्तों में पैसा देगा और पहली किस्त उसे एक अरब डॉलर की रकम दी जाएगी। बाकी किस्तें अगले तीन साल में दी जाएगी। जिस तरह पाकिस्तान शर्तों को लागू करेगी उसी आधार पर उसे कर्ज मिलता जाएगा।

असल में आईएमएफ से कर्ज मिलने की खबरों से पहले ही पाकिस्तान में महंगाई में तेजी आ गयी है। यही नहीं सरकार जनता पर जल्द ही नए टैक्स लगाएगी। जिसका पाकिस्तान के विपक्षी दल पहले से ही विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान आईएमएफ से अब तक 21 बार कर्ज ले चुका है।