कभी कश्मीर और देश को अपने आतंक के जरिए दहलाने वाले कश्मीरी आतंकियों की पत्नियां अब भारत सरकार से देश की नागरिकता मांग रही हैं। इन महिलाओं का कहना है कि भारत सरकार उन्हें नागरिकता प्रदान करे या फिर पाकिस्तान भेज दे। ये वो महिलाएं हैं जिनसे कश्मीरी आतंकियों ने पाकिस्तान या फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में निकाह किया था।

असल में ये महिलाएं पाकिस्तान से एक पुनर्वास योजना के तहत भारत आयी थी। हालांकि बाद में केन्द्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था। ये महिलाएं पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियां हैं। जिनसे कश्मीर आतंकियों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में निकाह किया था।

जम्मू कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार ने 2010 में एक पुनर्वास योजना को तैयार किया। जिसके तहत इन महिलाओं को यहां पर बुलाया गया। ये वो महिलाएं हैं, जिनके पतियों ने आत्मसमर्पण किया था। फिलहाल ये महिलाएं अपने अधिकारों के लिए भारत सरकार से गुहार लगा रही हैं कि भारत सरकार इन महिलाओं को देश की नागरिकता प्रदान करें।

हालांकि इन महिलाओं में ज्यादातर गुलाम कश्मीर की महिलाएं हैं। जिन्होंने आतंकियों से निकाह किया था। इन महिलाओं की 350 की संख्या है। जो अब भारत सरकार से नागरिकता चाहती हैं। इन महिलाओं का कहना है कि अगर भारत सरकार उन्हें नागरिकता नहीं देती हैं तो वह उन्हें पाकिस्तान भेज दे।

इनका कहना है कि हमें भारत सरकार पासपोर्ट दे या फिर वापस जाने के लिए यात्रा दस्तावेज प्रदान करे। फिलहाल इन महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राज्य के राज्यपाल से गुहार लगाई है। वहीं पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से भी इस मामले हस्तक्षेप करने की मांग की है। बहरहाल इन महिलाओं का आरोप है कि राज्य सरकार उन्हें पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अपने परिवारों से मिलने की अनुमति नहीं दे रही है।

असल में राज्य की उमर अब्दुल्ला ने 2010 में कश्मीर के उन पूर्व आतंकवादियों के लिए एक पुनर्वास नीति की घोषणा की थी जो 1989 से 2009 के बीच पाकिस्तान चले गये थे। जिसके बाद इन आतंकियों के साथ ही उनकी पत्नियां भी भारत आयी थी। फिलहाल कुछ आतंकी अभी जेल में बंद हैं और कुछ आम जिंदगी जी रहे हैं। हालांकि बाद मे केन्द्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था।