नई दिल्ली। दीवाली का त्यौहार अगले महीने 14  तारीख को है और रौशनी और आतिशबाजी के बिना दिवाली का त्योहार फीका माना जाना जाता है। लेकिन कई सालों से दिल्ली और कई राज्यों में दीवाली के मौके पर पटाखे नहीं जलाए जा रहे हैं। क्योंकि पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन अब पटाखों को शौकीन लोग बाजार में अभी से ग्रीन पटाखे खोज रहे हैं। ताकि दिवाली के मौके पर इसकी कमी न  हो। हालांकि कारोबारियों को डर सता रहा है कि कहीं इस बार उनकी दिवाली पिछली बार की तरह फीकी न  हो जाए। क्योंकि कोरोना संकट के कारण ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कम हो और अगर उन्होंने ज्यादा पटाखे मंगा लिए तो उन्हें नुकसान हो सकता है।

वहीं दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर बढता चला जा रहा है और ज्यादातर लोग दिवाली में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि दिल्ली में प्रदूषण मानकों से ऊपर चला गया है। जिसके कारण कारोबारियों को लगा रहा है कि अगर प्रदूषण का स्तर यही रहा तो आने वाले दिनों में इसका कारोबार प्रभावित हो सकता है और सरकार पटाखों के कारोबार पर रोक लगा सकती है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में पटाखा जलाने पर अंकुश लगा दिया था वहीं पिछले साल ग्रीन पटाखे जलाने को ग्रीन सिगनल दिया गया था।  लेकिन बाजार में ग्रीन पटाखे नहीं थे। लेकिन अंतिम समय में यह ग्रीन पटाखे बाजार में कारोबारी  लेकर आए।

लेकिन पटाखों का इस्तेमाल कम होने के कारण  बिन पटाखा जलाए दीवाली अधूरी रह गई। वहीं कारोबारियों को इस बात का डर सता रहा है कि पिछले सालों की ही तरह इस साल भी दीवाली फीकी ना पड जाए। क्योंकि कोरोना का संकट सामने है और दिल्ली में लगातार कोरोना के मामलों  में इजाफा हो रहा है। फिलहाल दिल्ली के पटाखा व्यापारी डर-डर कर पटाखे मंगवा रहे हैं क्योंकि ज्यादा पटाखे मंगाने  के कारण उन्हें नुकसान हो सकता है। इसके अलावा बाजार में अब खरीदार दीवाली का मजा लेने के लिए अभी से बाजारों में ग्रीन पटाखे खोज रहे हैं। दिल्ली में पटाखों के दो सबसे बडे केंद्र हैं इसमें पहला सदर बाजार व दूसरा जामा मस्जिद में पाईंवालान बाजार।