नई दिल्ली: ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि 17वीं लोकसभा चुनाव में मतदान और मतगणना की तारीखों के बीच एक लंबा अंतराल है, जिससे मतदान के बाद कि अवधि के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका बढ़ गई है। 
यह याचिका तमिलनाडु ऐनल अंबेडकर लॉ एसोसिएशन के अध्यक्ष एम. श्रीनिवासन ने दायर की है।

इस याचिका में कहा गया है कि 14 अप्रैल को विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया रिपोर्ट के बाद ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं के आधार पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता के लेकर जमीनी हकीकत पर सवाल उठ रहे हैं। 

इतना ही नही याचिका में 66 पूर्व नौकरशाहो और पूर्व राजनयिकों द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया है। जिसमें चुनाव आयोग की निष्पक्ष कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि मतदान की अवधि के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस दौरान उन्हें छेड़छाड़ से बचाने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश जारी देना आवश्यक है। 

याचिका में कहा गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में 11 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान ने ईवीएम की पुख्ता कार्यप्रणाली और उनके प्रभावी कामकाज के बारे में आम जनता के मन मे व्यापक रूप से संदेह पैदा किया है। 

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता की इस आशंका को बढ़ाता है, वह है मतदान तिथि और मतगणना तिथि के बीच की लंबे समय यानि पहले चरण के मतदान और मतगणना के बीच 40 दिन का फासला है। वही दूसरे चरण के मतदान की तारीख और गिनती की तारीख के बीच का अंतर लगभग 35 दिनों का है। इस दौरान ईवीएम मशीनों की सुरक्षा को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।