अगर सब ठीकठाक रहा तो आने वाले समय में महंगे पेट्रोल की कीमतों से जूझ रहे देशवासियों को सस्ता पेट्रोल मिल सकता है। हालांकि इसमें थोड़ा समय लगेगा। लेकिन अगर केन्द्र सरकार इस पर कोई फैसला लेती है तो आने वाले समय में लोगों को पेट्रोल सस्ता मिल जाएगा। असल में केन्द्र सरकार एथनॉल और मेथनॉल के जरिए पेट्रोल की कीमतों में कमी पर काम कर रही है। अभी तक पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल को मिलाया जाता है। जिसे सरकार बढ़ाकर 15 फीसदी करने की योजना बना रही है।

असल में केन्द्र सरकार पेट्रोल की कीमतों में इजाफे को लेकर परेशान है। क्योंकि पेट्रोल को आयात किया जाता है और एक छोटे से अंतरराष्ट्रीय कारण से पेट्रोल की कीमतों में खासी बढ़ोत्तरी हो जाती है। सच्चाई ये भी है कि इस उत्पाद के लिए देश को पेट्रोल उत्पादक देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। कुछ महीने पहले पेट्रोल की कीमतें 84 रुपये के करीब पहुंच चुकी है। हालांकि अभी पेट्रोल की कीमत 70.63 रुपये (दिल्ली में आज की कीमत) के करीब है। अब केन्द्र सरकार पेट्रोल की कीमतों को एथनॉल के जरिए नियंत्रित करने की योजना बना रही है।

लिहाजा एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए साथ ही पेट्रोल में उसे बढ़ाने पर तैयारी तेजी से चल रही है। केन्द्र सरकार का अनुमान है कि अगर इस योजना को लागू कर दिया जाए तो पेट्रोल की कीमतों में दस रुपये की कमी आसानी से आ जा सकती है। बहरहाल नीति आयोग की निगरानी में इसका ट्रायल पुणे में जोरो-शोरों से चल रहा है। अभी तक पेट्रोल में दस फीसदी एथनॉल का मिश्रण किया जा रहा है जबकि केन्द्र सरकार इसे 15 फीसदी करने लागू करने की तैयारी में है। हालांकि अभी 10 फीसदी एथनॉल पेट्रोल में मिलाया जाता है।

एथनॉल की मौजूदा कीमत 42 रुपये प्रति लीटर है, जो गन्ने से बनता है। कुछ साल पहले केन्द्र सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल के इस्तेमाल पर अपनी योजना को लागू किया था। इसका सीधा फायदा चीनी मिलों को मिला था। उस वक्त केन्द्र सरकार ने इसे पांच फीसदी मिश्रित करना अनिवार्य किया था। वहीं सरकार मेथनॉल पर भी इसी प्रयोग को लागू करने की तैयारी में है। ये कोयले से बनता है। इसकी बाजार में कीमत 20 रुपये प्रति लीटर है। देश में पेट्रोल में 15 फीसदी की एथनॉल और मेथनॉल लागू करने से पेट्रोल की कीमतों में गिरावट के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा, वि‍देशी मुद्रा की बचत और कि‍सानों का फायदा।