पिछले साल देशभर में पेट्रोल पंपों का पेट्रोल और डीजल की घटतौली के कई मामले सामने आए। उस वक्त तेल को कम माप कर दिया जा रहा था। लेकिन अब तेल चोरी में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तेल की चोरी सॉफ्टवेयर टैंपरिंग कर की जा रही है। जिसके सबूत भी नहीं मिल पाते हैं। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां मशीन के सॉफ्टवेयर में टैंपरिंग कर ग्राहकों को कम मात्रा में पेट्रोल और डीजल दिया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर को पेट्रोल पंप मालिकों को दो लाख रुपये तक बेचा जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक सॉफ्टवेयर में टेंपरिंग के खेल में पेट्रोल पंपों के कर्मचारियों के साथ ही मालिक भी मिले हुए हैं। पेट्रोल और डीजल चोरी का ये खेल यूपी के लखनऊ, बाराबंकी, मुजफ्फरनगर और उत्तराखंड के रुद्रपुर समेत कई राज्यों में चल रहा है। जानकारी के मुताबिक हापुड़ में ये खेल सामने आया है। चोरी के इस खेल में सॉफ्टवेयर बेचने वाला गिरोह पेन ड्राइव के जरिए सॉफ्टवेयर को कई राज्यों में सप्लाई कर रहा है और पेट्रोल पंप मालिक कर्मचारियों की मिलीभगत से दो लाख रुपये में इसे खरीद रहे हैं।

 

फिलहाल इंडियन ऑइल की आईटी टीम के एक्सपर्ट हापुड़ पहुंच गई है। इस मामले में अभी दो लोगों को पकड़ा गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। असल में इस घोटाले में डिस्पेंसिंग यूनिट सप्लाई करने वाली कंपनी जीवीआर और मिडको के दो इंजीनियर शामिल हैं। जो मोटी कीमत वसूल कर पेट्रोल पंपों को ये साफ्टवेयर सप्लाई करते हैं। 

जानें कैसे आया मामला पकड़ में

जानकारी के मुताबिक लखनऊ में बांट-माप विभाग को सूचना मिली थी कि राज्य के कई हिस्सों में पेट्रोल पंपों में पेट्रोल डालने वाली मशीन के साफ्टवेयर की टेंपरिंग कर तेल चोरी का खेल चल रहा है। इसके लिए वहां से एक टीम हापुड़ के एक पेट्रोल पंप पर पहुंची। पेट्रोल पंप मालिक को विश्वास लेकर टीम ने गिरोह के सदस्यों को बुलाया। पेट्रोल पंप मालिक ने कहा कि टीम के लोग भी पेट्रोल पंप के मालिक हैं और सॉफ्टवेयर खरीदना चाहते हैं। लेकिन इन्हें डेमोस्ट्रेशन चाहिए। लिहाजा उन्होंने उसी पेट्रोल पंप पर टीम को इसका डिमो दिया।

जिसके मुताबिक  डिस्पेंसिंग यूनिट खोलकर उसके कैलिबरेशन पोर्ट में पेन ड्राइव लगाकर सॉफ्टवेयर टैंपर कर दिया। इसके बाद यूनिट को बंद कर चालू किया गया। फिर टीम ने जब पांच लीटर तेल निकाला तो उसमें 250 मिली लीटर कम था। जबकि डिस्पेंसिंग यूनिट पांच लीटर ही दिखा रही थी। इसके बाद टीम ने दोनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए लखनऊ ले गयी। इसमें एक और बात सामने आयी कि जैसे ही पेट्रोल पंप की यूनिट की बिजली सप्लाई बंद हो जाएगी तो ये साफ्टवेयर काम करना बंद कर देता है। लेकिन दोबारा शुरू होने पर टेंपरिंग के सबूत नहीं मिलते हैं।