देश विरोधी ताकतें कानून-व्यवस्था का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रही हैं। इस बार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की आड़ में भावनाएं भड़काने की तैयारी है। सारा प्रयास ध्रुवीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने का है। असम में एनआरसी से 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया है। आरोप है कि इनमें से अधिकतर लोग बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं। 

कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने एनआरसी के विरोध को हवा देने का जिम्मा अपनी छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) को सौंपा है। पीएफआई पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। बहरहाल, सीएफआई 11 से 18 अगस्त के बीच एक सरकार विरोधी अभियान शुरू कर रही है। उसका पूरा एजेंडा असम में एनआरसी से बाहर किए गए लोगों के लिए समर्थन जुटाना है। 

सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि अभियान की शुरुआत नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर से हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, 'अभियान के दौरान कई भड़काऊ भाषण दिए जाएंगे और भारत सरकार पर हिंदुओं का पक्ष लेने का आरोप लगाया जाएगा। इसे मुस्लिमों से भेदभाव बताने वाले एजेंडे के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।'

'माय नेशन' को भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए नुक्कड़ नाटक, यूनिवर्सिटी स्तर पर बहस, प्रदर्शन, स्टेज शो आदि का सहारा लिया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान एनआरसी के मुद्दे की ओर खींचा जाए। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कथित फासीवाद का आरोप लगाकर माहौल बनाने का भी प्रयास होगा। 

सूत्रों के अनुसार, देखने में आया है कि सीएफआई की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य इस समय असम में हैं और वहां एनआरसी के खिलाफ चल रहे अभियान का समर्थन कर रहे हैं।