नई दिल्ली। कभी राजस्थान में मुख्यमंत्री के दावेदार और राज्य में कांग्रेस की सत्ता बनने के बाद विधानसभा में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बगल में बैठने वाले सचिन पायलट की कांग्रेस पार्टी के साथ साथ विधानसभा में हैसियत कम हो रही है। पायलट राज्य में कांग्रेस सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ साथ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। लेकिन कांग्रेस में बागी बनने के बाद वह न तो उपमुख्यमंत्री हैं और न ही प्रदेश अध्यक्ष  की कुर्सी उनके पास है। वहीं अब विधानसभा में वह अशोक गहलोत के पीछे बैठेंगे।

राज्य में चले सियासी संकट के बाद हालांकि राज्य में कांग्रेस के बागियों ने पार्टी में वापसी कर ली है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा नुकसान में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट रहे हैं। आज से राज्य में विधानसभा का सत्र सुबह शुरू हो गया है। लेकिन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की हैसियत कम हो गई है। क्योंकि सत्र में विधानसभा में बैठने की सीट में कुछ बदलाव किए गए हैं और इसके तहत, सचिन पायलट अब मुख्यमंत्री गहलोत के बगल वाली सीट के बजाए पिछली सीट पर बैठे। जबकि राज्य में उपमुख्यमंत्री के तौर पर वह गहलोत के बगल वाली सीट पर बैठते थे।

विधानसभा में नए सीट अरेंजमेंट के मुताबिक उप-मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जहां सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिए गए हैं वहीं वह अब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के पद से भी हटा दिए गए हैं। जबकि विधानसभा में अब पायलट के बैठने की सीट को गहलोत के बगल से बदलकर उनके पीछे वाली दूसरी लाइन में कर दिया गया है। वहीं  अब राज्य के कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल मुख्यमंत्री गहलोत के बगल वाली सीट पर बैठ रहे  हैं। पायलट के साथ ही उनके दो करीबी पूर्व मंत्रियों की सीट में भी बदलाव किया गया है। अब पायलट के करीबी विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी पीछे की लाइन में बैठना होगा। 

नुकसान में रहे पायलट तो विनर रहे गहलोत

राजस्थान में महीनेभरतक चले सियासी ड्रामे में सबसे ज्यादा नुकसान सचिन पायलट को  हुआ और सबसे ज्यादा फायदे में राज्य के सीएम अशोक गहलोत रहे। सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी और उसके साथ ही उनके करीबी माने जाने वाले 18 विधायक उनके साथ आ गए थे।