स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। पिछले साल मोदी सरकार ने देश को सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का तोहफा दिया।  3000 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ यह 182 मीटर ऊंचा 'अजबूा' लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरदार पटेल की प्रतिमा को देखने की उत्सुकता इस कदर है कि यह गुजरात के फेवरेट हॉलीडे डेस्टीनेशन में से एक है। 

एक बार फिर यह प्रतिमा चर्चा में आ गई है। इसका कारण है पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा की गई स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की वीडियोग्राफी। पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया है। इसके साथ उन्होंने लिखा है, 'राजस्थान जाते समय स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को कैमरे में कैद करना शानदार रहा।' वीडियो को देखने से लग रहा है कि इसे हेलीकॉप्टर से शूट किया गया है। 

31 अक्टूबर को भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के 143वें जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मूर्ति का उद्घाटन किया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अब तक सबसे बड़ी प्रतिमा माने जाने वाले चीन के स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्ध से 100 फीट ऊंची है। यही नहीं यह न्यूयॉर्क के विश्व विख्यात स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची है। 

स्पेस से भी आती है नजर

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया में मानव निर्मित उन 'अजूबों' में शामिल हो गई है जो धरती के ऊपर से साफ-साथ दिखाई देते हैं। इनमें चीन की ऐतिहासिक दीवार, दुबई के तट पर बना पाम आइलैंड और गीजा के पिरामिड शामिल हैं। कॉमर्शियल सैटेलाइट नेटवर्क प्लेनेट ने 15 नवंबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तिरछी सैटेलाइट तस्वीरें ट्वीट की थीं।  इनमें नर्मदा के किनारे बनी यह प्रतिमा बेहतरीन नजर आ रही है। 

2013 में रखी गई थी नींव

सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा और स्मारक की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को लौहपुरुष की 138वीं जयंती के मौके पर रखी गई थी। तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस प्रतिमा के लिए भाजपा ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था। ये विशालकाय प्रतिमा लाखों टन लोहे और तांबे को मिलाकर बनाई गई है। इस मूर्ति की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए लोहा भारत के किसानों से खेती के बेकार हो चुके औजारों को लेकर इकठ्ठा किया गया। इस प्रतिमा के लिए 'सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट' भी बनाया गया।