प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वाराणसी और गाजीपुर के दौरे पर हैं। यहां प्रधानमंत्री कई योजनाओं की शुरूआत करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के लिए योगी सरकार का पूरा सरकार अमला जुटा है। लेकिन सरकार में उसके सहयोगी दलों ने पीएम के इस कार्यक्रम से दूरी बनायी है। इस के जरिए वह नाराजगी जताना चाहते हैं और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दबाव राजनीति का दांव चल दिया है। ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें ज्यादा से ज्यादा सीटें मिल सकें।

प्रधानमंत्री की अपने निर्वाचन क्षेत्र की दो महीने में यह दूसरी यात्रा है। इससे पूर्व वह 12 नवंबर को वाराणसी आये थे। प्रधानमंत्री वाराणसी में ‘‘राष्ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र’ के परिसर में ‘‘अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान’ और ‘‘दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र’ को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। माना जा रहा है कि चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया और दक्षेस देशों में चावल के अनुसंधान एवं प्रशिक्षण का प्रमुख केन्द्र बनेगा। मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जो नवंबर 2017 में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के फिलीपीन स्थित मुख्यालय गये थे।

दिल्ली रवाना होने से पहले बुनकरों और हस्तशिल्पियों से मुलाकात करेंगे। मोदी की इस यात्रा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि वाराणसी में 21 जनवरी से प्रवासी भारतीय दिवस होना है, जिसकी तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। वाराणसी से पहले प्रधानमंत्री गाजीपुर जाएंगे, जहां वह एक मेडिकल कालेज की आधारशिला रखेंगे और वह महाराज सुहेलदेव पर एक डाक टिकट भी जारी करेंगे और आरटीआई मैदान पर जनसभा करेंगे। हालांकि आदित्यनाथ सरकार में वरिष्ठ मंत्री एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वह प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पासी वोटरों को साधने को लेकर भाजपा से नाराज हैं।


ग्यारहवीं सदी के महाराजा सुहेलदेव के नाम डाक टिकट जारी करने के बहाने पूर्वांचल में राजभर के साथ पासी वोटों को भी एक साथ साधने का काम इस मंच से किया जाएगा। 20वीं सदी से सुहेलदेव का सियासी फायदा उठाने की कसरत के तहत हिंदूवादी संगठन महाराज सुहेलदेव को परम हिंदू राजा के तौर पर चित्रित करते हैं, जिन्होंने सालार मसूद जैसे मुस्लिम आक्रांताओं को हराया। सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी करने के साथ पूर्वांचल की 14 राजभर बहुल लोकसभा सीटों पर मिशन 2019 के लिहाज से सियासी समीकरण भी साधने का काम करेंगे। इसके साथ ही भाजपा को अपना दल (एस) से भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

अपना दल राज्य और केन्द्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। अपना दल ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह छोटे दलों की अनदेखी कर रही है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से अपना दल (एस) की 15 से अधिक सीटों पर उपस्थिति है। कुर्मी पटेल उसके प्रमुख वोटर हैं और उनमें से लगभग एक लाख केवल प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में हैं। इसके साथ ही पीएम के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का नक्शा तैयार है। आज प्रधानमंत्री के समक्ष प्रजेंटेशन के बाद नक्शे को अंतिम मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा।