आज पूरा देश जनऔषधि दिवस मना रहा है। जनऔषधि दवाएं कई हिस्सों में मरीजों के लिए दवाओं की कीमतों को कम करने में अहम भूमिका निभा रही है और दवा उपलब्ध कराने वाले ये केन्द्र आज के दौर में सफल व्यापारिक मॉडल बन रहे हैं। 
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनऔषधि केन्द्र को चलाने वाले और उससे लाभ हासिल करने वालों से रूबरू हुए। जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल के लिए जागरूक करने के लिए सात मार्च को जनऔषधि दिवस मनाया जाता है। पीएम इन लोगों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे। इस जन औषधि दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषिधि परियोजना के लिए जागरूकता फैला कर इसके ज्यादा से ज्यादा केन्द्र स्थापित करना है। इस कार्यक्रम को आम लोगों तक पहुंचाने वाले डाक्टर, एनजीओ, हेल्थ एक्सपर्ट और लाभार्थी इस बात के गवाह हैं कि इससे लोगों को लाभ मिल रहा है।

यही नहीं ये योजना स्वरोजगार का भी एक बेहतरीन जरिया है। इस योजना के तहत हर महिने हर स्टोर की बिक्री 1.5 रुपये है। इसके लिए बीपीपीआई ने एक सर्वे कराया और जो इस योजना का क्रियान्वयन कर रही है। पूरे देश में चार बड़े वेयरहाउस खोले गए हैं ताकि लोगों को समूचित मात्रा में जनऔषधि केन्द्रों में मिलती रहे। केन्द्रीय कैमिकल और फर्जिलाइजर राज्यमंत्री मनसूख मनडाविया के मुताबिक प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सरकार गुणवत्ता वाली हेल्थकेयर उत्पाद मुहैया करा रही है और सरकार ने कई कदम उठाए हैं ताकि जेनरिक दवाएं पीएमबीजेपी के तहत मिल सके।

केन्द्रीय मंत्री का कहना है कि इस दिशा में काफी उन्नति हुई है और 2020 तक हर ब्लाक में कम से कम एक केन्द्र होगा। क्योंकि प्रधानमंत्री का विजन है कि हर गरीब व्यक्ति को अच्छी और गुणवत्ता वाली दवाएं मुहैया होनी चाहिए। अब इसका असर ये देखने को मिल रहा है कि डाक्टर भी जेनेरिक दवाओं को लिख रहे हैं देश के 652 जिलों में 5050 जनऔषधि स्टोर हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। वर्तमान में 10-15 लाख लोग रोजना जनऔषधि केन्द्र से दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और हर साल इसकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ती ही जा रही है और पिछले तीन साल के दौरान इसकी हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी हुई है।

केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य और विकास बहुत अहम है और हम लोगों का प्रयास है कि जनता को उच्च गुणवता की दवाएं मिले और सरकार आयुष्मान भारत और पीएमबीजेपी जैसी योजनाएं चल रही है। जनऔषधि केन्द्र वो मरीज जो धातक बीमारियों की गिरफ्त में हैं उनके दवा का खर्चा कर करने में अहम साबित होंगी। केन्द्र सरकार ने इस योजना के तहत आम लोगों की एक हजार करोड़ रुपये की बचत की है और ये दवाएं बाजार की तुलना में 50 से 90 फीसदी तक कम हैं।