लखनऊ। आम तौर पर रमजान के महीने में उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में राजनैतिक दल इफ्तार पार्टियों का आयोजन करते थे। लेकिन यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद सियासी दलों ने इफ्तार पार्टियों से दूरी बनानी शुरू कर दी और भंडारों का आयोजन शुरू कर दिया है। फिलहाल रमजान का महीना खत्म होने जा रहा है और अभी तक यूपी में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस ने इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया है।

राज्य में पिछले दो दशक के दौरान मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए सभी राजनैतिक दल इफ्तार पार्टियों का आयोजन किया करते थे। लेकिन पिछले दो-तीन साल से सियासी दलों की इफ्तार पार्टियां गायब हो गयी हैं और भंडारों का आयोजन शुरू कर दिया है। राजनैतिक दलों ने अब इसके जरिए हिंदू वोटरों को लुभाना शुरू कर दिया है।

राज्य में कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी रमजान में बड़े स्तर पर इफ्तार पार्टियों का आयोजन किया करती थी। जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों के साथ ही सभी धर्म के लोगों को आमंत्रित किया जाता था। ताकि इसके जरिए अपनी धर्मनिरपेक्षता की छवि बरकरार रखा जा सके।

लेकिन राज्य में 2014 के बाद जिस तरह से सिसायी माहौल बदला हुआ है। उसी तरह से राजनैतिक दलों ने इन इफ्तार पार्टियों से दूरी बनानी शुरू कर दी है। असल में लखनऊ में जेठ के महीने में बड़ा मंगल का आयोजन किया जाता है। जिसमें शहर में हजारों की संख्या में भंडारे लगते हैं।

लिहाजा सियासी दलों ने भी भंडारों का आयोजन शुरू कर दिया है। इस बार अभी तक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया। जानकारी के मुताबिक 2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी को मिली करारी हार के बाद पार्टी ने इफ्तार पार्टी से दूरी बना ली है।

पार्टी ने 28 मई को पार्टी कार्यालय के बाहर मंगलवार को बड़े भंडारे का आयोजन किया। वहीं पार्टी आज भी भंडारे का आयोजन कर रही है। जबकि कांग्रेस भी पार्टी कार्यालय के बाहर भंडारे का आयोजन कराती आयी है।