केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब सबकी नजर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के पद पर लगी है। क्योंकि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय को मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है। पाण्डेय वाराणसी से सटे चंदौली जिले से लोकसभा का चुनाव जीते हैं। जो बीजेपी के लिए आसान सीट नहीं थी। जबकि वाराणसी से सटी गाजीपुर में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है।

ऐसा माना जा रहा है कि मिशन 2022 को देखते हुए बीजेपी जल्द ही इस पद पर किसी नेता की नियुक्ति करेगी। बीजेपी के सूत्रों से मिली जानकारी के कुछ दिग्गज नेताओं के नाम इस पद के लिए चल रहे हैं, जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल सकते हैं।

1-मनोज सिन्हा: इस पद की दौड़ में मनोज सिन्हा को सबसे आगे माना जा रहा है। उन्हें इस बार गाजीपुर से एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशी ने हराया। सिन्हा पिछली मोदी सरकार में दो विभागों के मंत्री थे। जानकारी के मुताबिक उनके राजनैतिक कद को देखते हुए बीजेपी उन्हें इस पद पर नियुक्त कर सकती है।

सिन्हा का चुनाव हारना सबसे बड़ी कमी साबित हुआ है जबकि इस बार पिछले बार की तुलना में मोदी लहर ज्यादा बड़ी थी। सिन्हा का नाम राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद के लिए चर्चा में आया था, लेकिन पार्टी ने उस वक्त योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया।

जानकारी के मुताबिक सिन्हा के नाम पर पार्टी के भीतर ही विरोध हो रहा है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ अपने समकक्ष किसी की समान्तर सत्ता को स्वीकार नहीं करेंगे। यही नहीं सिन्हा को आम कार्यकर्ताओं से ज्यादा जुड़ा हुआ नेता भी नहीं माना जाता है। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में।

उन्हें प्रदेश की कमान सौंपने के बाद देश के बड़े हिस्से में कार्यकर्ताओं से संपर्क बढ़ाना पड़ेगा। हालांकि सिन्हा राज्य में संगठन का चेहरा हो सकते हैं, लेकिन पार्टी को इसके लिए कार्य करना पड़ेगा। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष पाण्डेय ब्राह्मण हैं जबकि सिन्हा भी राज्य में संख्यात्मक रुप से कम भूमिहार ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। इस लिहाज से वह पाण्डेय का विकल्प हो सकते हैं।

2-विद्यासागर सोनकर: इस दौड़ में दूसरा नाम विद्यासागर सोनकर का है। वह बीजेपी में प्रदेश के महामंत्री हैं और गाजीपुर से सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं। जौनपुर के रहने वाले सोनकर ने 2017 का विधानसभा चुनाव सैदपुर से लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

सोनकर पार्टी में मजबूत दलित चेहरा हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के समीकरणों को देखते खासतौर से बीएसपी के खिलाफ, वह 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। सोनकर को संघ का भी करीबी माना जाता है।

3-स्वतंत्र देव सिंह: इस दौड़ में सिंह छुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं। उन्हें ये नाम संघ द्वारा दिया गया। क्योंकि पहले उनका नाम कांग्रेस सिंह हुआ करता था। सिंह ओबीसी वर्ग के कुर्मी जाति से आते हैं। सिंह राज्य में कुर्मी राजनीति से अपना दल को बाहर करने में बीजेपी के लिए कारगर भूमिका निभा सकते हैं।

राज्य में गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने में खासतौर से जब यादव वोट बैंक पर एसपी की मजबूत पकड़ माना जाती हो, तो इसमें उनकी अहम उपयोगिता हो सकती है। सिंह की कार्यकर्ताओं पर पकड़ मानी जाती है और उनकी स्वीकार्यता भी राज्य में है।

वह किसी भी मंडल में जाकर कभी भी बैठक कर सकते हैं। वह भी राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे। सिंह हालांकि बुंदेलखड के उरई से आते हैं लेकिन वह प्रदेश के मिर्जापुर से ताल्लुक रखते हैं।

4-महेश शर्मा: गौतमबुद्धनगर सीट से लोकसभा चुनाव दूसरी बार जीते महेश शर्मा, 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे। लेकिन इस बार वह कैबिनेट में जगह बनाने में विफल रहे। हालांकि इस पद के लिए उनका नाम भी चल रहा है। शर्मा ब्राह्मण चेहरा है और मोदी कैबिनेट में शामिल न करने के ऐवज में उनका इस पद पर पुर्नवास किया जा सकता है।