पटना। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों की उछाल ने आम लोगों के साथ ही सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। महंगाई के कारण राज्य सरकार की धड़कनें बढ़ गई हैं। वहीं केन्द्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगाकर बढ़ते दामों को कंट्रोल में लाने की कोशिश की है। लेकिन  आलू और टमाटक की कीमत के कारण सरकार परेशान है। सरकार को डर है कि अगर महंगाई मुद्दा बना तो आम लोगों को दिक्कत होगी। 

असल में विपक्षी दल आलू टमाटर के जरिए सरकार को घेरने की तैयारी में है। राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है और विपक्ष ने अभी से महंगाई को सियासी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। असल में जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की जिम्मेदारी केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की है और इस मंत्रालय का जिम्मा राज्य के सियासी दल लोकजनशक्ति पार्टी के पास है। लिहाजा विपक्षी  दल लोजपा के जरिए एनडीए और राज्य सरकार को घेर रही है। वहीं कोरोना के कारण लोगों की स्थिति काफी खराब है और महंगाई ने लोगों की कमर को तोड़ दिया है। उपभोक्ता मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने निर्यात पर रोक लगाई गई है।

वहीं महंगाई को रोकने के लिए सरकार जरूरी कदम उठा रही है। वहीं प्याज की कीमतों में नियंत्रण रखने के लिए केंद्र सरकार के पास बफर स्टॉक भी मौजूद है। पिछले साल केन्द्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए प्याज का बफर स्टॉक बनाया गया है  और सरकार के पास करीब एक लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है। जबकि पिछले साल 57 हजार टन था।

अफसरों का कहना है कि आलू और टमाटर की कीमतों में  इजाफे को लेकर केन्द्र सरकार कदम उठा रही है। फिलहाल देश के कई शहरों में आलू की खुदरा कीमत पचास रुपये प्रति किलो जबकि टमाटर की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। फिलहाल कोरोना काल के बीच में आलू और प्याज को पहले ही आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर किया जा चुका है। जिसके कारण कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा आलू पैदा होता है। लेकिन आलू का उत्पादन होने के बावजूद देश के ज्यादातर राज्यों में आलू कीं कीमतों में इजाफा हो रहा है।