पटना। राज्य में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से  पहले ही राज्य में विपक्षी दलों में फूट की आवाज सुनाई दे रही है। राज्य में अभी तक विपक्ष के नेता के तौर पर खुद को प्रसारित कर रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने के लिए उनके सहयोगी जीतन राम मांझी तैयार नहीं है। मांझी ने साफ तौर कह दिया है कि तेजस्वी को नेता नहीं मानेंगे। लिहाजा मांझी के इस फैसले के बाद राज्य में तीसरे मोर्चे की दस्तक सुनाई देने लगी है। 

बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। सभी राजनैतिक दल जमीन पर तो नहीं सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर सियासी हलचल मचा रहे हैं।  राज्य में दो दिन पहले भाजपा नेता अमित शाह की रैली के बाद राज्य का माहौल पूरी तरह से बदल गया है। राजनैतिक दल सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के चलते वर्चुअल रैलियों के जरिए मतदाताओं को साधने में लगे हैं। अमित शाह की रैली के बाद सभी राजनैतिक दल इसी दिशा में काम कर रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार जेडीयू कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया के जरिए जुड़ रहे हैं। वहीं राजद और अन्य दल भी इसकी तैयारी में हैं।

लेकिन राज्य में अभी तक विपक्षी दलों में एका नहीं हो सकी है। राजद ने तेजस्वी यादव को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर दिया है। लेकिन अन्य दल उन्हें नेता मानने को तैयार नहीं है।  हिंदुस्तानी आवाम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी तो तेजस्वी के खुलकर विरोध में उतर आए हैं। जिसके बाद राजद की मुश्किलें तो बड़ी हैं वहीं कांग्रेस भी परेशान है। कांग्रेस राज्य में विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए काम कर रही है।

फिलहाल राज्य में छोटे दल हम, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता राजद से अलग बैठक कर चुके हैं। जो इस बात के संकेत है कि ये दल राजद  नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का नेता मानने को तैयार नहीं है। लिहाजा ये  महागठबंधन में समन्वय समिति बनाकर सीएम के चेहरे के लिए फैसला करने की मांग कर रहे हैं।  इन तीनों दलों के नेता इस दिशा में भी काम क रहे है कि अगर राज्य में महागठबंधन में अगर बात नहीं बनी तो ये मिलकर राज्य में तीसरा अलग मोर्चा बनाएंगे। वहीं इन नेताओं की बातचीत जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव, वामपंथी दलों और वंचित समाज पार्टी से भी हो चुकी है।