जम्मू-कश्मीर में पहले दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। जनवरी 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था वही 1986 मार्च से नवंबर 1986 तक भी राज्य में राष्ट्रपति शासन था।
जम्मू-कश्मीर में भाजपा के 19 जून को पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद से राज्य में लगा राज्यपाल शासन बुधवार को खत्म हो गया। जम्मू- कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हरी झंडी दे दी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के राज्यपाल की सिफारिश पर मोहर लगाते ही राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन में लगा है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में पहले दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। जनवरी 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था वही 1986 मार्च से नवंबर 1986 तक भी राज्य में राष्ट्रपति शासन था।
बुधवार रात से जम्मू-कश्मीर में लगने वाले राष्ट्रपति शासन के बाद राज्यपाल की सभी विधाई शक्तियां संसद के पास चली जाएंगी। ऐसे में जम्मू कश्मीर में किसी भी नए कानून को बनाने के लिए राज्यपाल को उसे संसद से पास करवाना होगा। इससे पहले आशंका जताई जा रही थी कि जम्मू-कश्मीर का सालाना बजट भी संसद से ही पारित होगा लेकिन राज्यपाल ने निश्चित तिथि से 20 दिन पहले ही 15 दिसंबर को अपने अधिकारियों की एक मीटिंग में भारी भरकम 88 हजार करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि 6 महीने के अंदर ही राज्य में फिर से विधानसभा चुनाव होंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति शासन की अवधि को 6 महीने और बढ़ाया जा सकता है।
Last Updated Dec 19, 2018, 7:46 PM IST