प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘कुछ लोगों के लिये सत्ता ऑक्सीजन के समान है और वे उसके बिना जीवित नहीं रह सकते । वहीं दूसरी ओर वाजपेयी ने अपने सार्वजनिक जीवन का लम्बा समय विपक्ष में रहते हुए राष्ट्र हित से जुड़े विषयों को उठाने में लगाया।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया। लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘कुछ लोगों के लिये सत्ता ऑक्सीजन के समान है और वे उसके बिना जीवित नहीं रह सकते । वहीं दूसरी ओर वाजपेयी ने अपने सार्वजनिक जीवन का लम्बा समय विपक्ष में रहते हुए राष्ट्र हित से जुड़े विषयों को उठाने में लगाया।’
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 94वीं जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी स्मृति में 100 रुपये का सिक्का जारी किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मृति सिक्का जारी करने के अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह वाजपेयी की विचारधारा और उनके दिखाए रास्ते पर चलने के वास्ते अपनी प्रतिबद्धता दोहराने के लिए मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक पर जाएंगे।
First look of #100rupee coin released today, in the memory of #BharatRatan #AtalBihariVajpayee. pic.twitter.com/W0fQzj07ox
— PIB India (@PIB_India) December 24, 2018
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया। लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।’
कुछ लोगों के लिए सत्ता ऑक्सीजन के समान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘कुछ लोगों के लिये सत्ता ऑक्सीजन के समान है और वे उसके बिना जीवित नहीं रह सकते । वहीं दूसरी ओर वाजपेयी ने अपने सार्वजनिक जीवन का लम्बा समय विपक्ष में रहते हुए राष्ट्र हित से जुड़े विषयों को उठाने में लगाया।’
उन्होंने कहा कि सिद्धांतों और कार्यकर्ता के बल पर अटलजी ने इतना बड़ा राजनीतिक संगठन खड़ा कर दिया और काफी कम समय में देशभर में उसका विस्तार भी किया। उन्होंने कहा कि अटलजी के बोलने का मतलब देश का बोलना और सुनने का मतलब देश को सुनना था। अटलजी ने लोभ और स्वार्थ की बजाय देश और लोकतंत्र को सर्वोपरि रखा और उसे ही चुना ।
मोदी ने कहा कि अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया, लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।
उन्होंने कहा,‘मन अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि अटल जी अब हमारे साथ नहीं हैं। वह समाज के सभी वर्गों के प्रति प्रेम रखने वाले और सम्मानित व्यक्ति थे। एक वक्ता के रूप में, वह अद्वितीय थे। वह हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में से एक थे।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी का जीवन आने वाली पीढ़ियों को सार्वजनिक जीवन के लिए, व्यक्तिगत जीवन के लिए, राष्ट्र जीवन के लिए समर्पण भाव की खातिर हमेशा हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
पूर्व प्रधानमंत्री का लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अगस्त में निधन हो गया था। लंबे समय तक वाजपेयी के सहयोगी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यहां आयोजित संबंधित समारोह में उपस्थित थे।
Last Updated Dec 24, 2018, 2:43 PM IST