साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 'अजेय भारत, अटल भाजपा' का नारा दिया। उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, कि 2019 के चुनाव में भाजपा को कोई चुनौती नजर नहीं आती क्योंकि पार्टी सत्ता को कुर्सी के रूप में नहीं देखती बल्कि सत्ता को जनता के बीच में काम करने का उपकरण समझती है । 

केंद्रीय मंत्री रविशंकार प्रसाद ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गतिविधियों की जानकारी मीडिया को दी और बताया, कि प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में भाजपा दो दशकों से अधित समय से सत्ता में हैं क्योंकि पार्टी सत्ता को सेवा करने का साधन मानती है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अटल जी ने भाजपा के विचार, संस्कार और नेतृत्व को एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने कहा कि आज पार्टी का सूरज तो चला गया लेकिन उनके जैसे कार्यकर्ताओं के रूप में जो सितारे हैं, उन्हें अपनी चमक बढ़ाकर विचारधारा के प्रकाश को आगे फैलाना है।  मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपने भाषण में 'अजेय भारत - अटल भाजपा' का नारा दिया।

विपक्ष के महागठबंधन की अवधारणा को लेकर मोदी ने विपक्ष पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा, '' जो लोग एक दूसरे को देख नहीं सकते, एक साथ चल नहीं सकते, आज वो गले लगने को मजबूर हैं, उनकी यही मजबूरी हमारी सफलता है। क्योंकि यह हमारी पार्टी की लोकप्रियता और काम की स्वीकार्यता बढ़ने का संकेत है। 

प्रधानमंत्री ने 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कहा, '' हमें चुनौती कहीं नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष होना चाहिए लेकिन उन्हें दुख है कि जो लोग सत्ता में विफल रहे, वे लोग विपक्ष में भी विफल रहे। मोदी ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष को सवाल पूछना चाहिए, जवाबदेही के बारे में चर्चा करनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दिक्कत यह है कि वह लोग न तो मुद्दों पर लड़ते हैं, न काम के विषय पर लड़ते हैं, वे झूठ पर लड़ते हैं । ''झूठ बोलना, झूठ गढ़ना और झूठ दोहराना ही उनका काम रह गया है। उन्होंने कहा, ' हमारी समस्या यह है कि हमें झूठ के साथ लड़ना नहीं आता। लेकिन अब एक रणनीति के साथ हम उनके झूठ से भी लड़ेंगे। 

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के बारे में आगे कहा कि आज छोटे-छोटे दल भी कांग्रेस के नेतृत्व को नहीं स्वीकार कर रहे हैं। कई दल तो कांग्रेस के नेतृत्व को बोझ समझते हैं।