सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थॉवर चंद गहलोत ने इस बिल को पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम बताया।
केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव वाले संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थॉवर चंद गहलोत ने इस बिल को पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, गरीबों को आरक्षण से सबका साथ और सबका विकास होगा, देश में अमन-चैन कायम होगा।
124वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल है। लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत होगी। हालांकि कई विपक्षी दलों ने बिल को समर्थन देने की बात कही है।
लोकसभा में इस मुद्दे पर बोलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि गरीबों को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण निजी क्षेत्र के सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में भी मिलेगा। हालांकि अल्पसंख्यक संस्थानों में यह आरक्षण लागू नहीं होगा।
इस बिल के मुताबिक गरीबों को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण निजी क्षेत्र के सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में भी मिलेगा। हालांकि अल्पसंख्यक संस्थानों में यह आरक्षण लागू नहीं होगा।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, वक्त आ गया है कि हर धर्म के गरीब व्यक्ति को आरक्षण दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर जो 50 फीसदी की सीमा लगाई, वो सिर्फ जाति आधारित आरक्षण पर थी। गरीबों को कई बार आरक्षण देने का प्रयास हुआ है, लेकिन कभी पूरा नहीं हो पाया। जेटली ने कहा, नरसिम्हा राव ने 10 प्रतिशत का नोटिफिकेशन निकाला, लेकिन उसका सोर्स ऑफ पावर नहीं था। एक धारणा बन गई कि 10 प्रतिशत देकर 50 प्रतिशत आरक्षण कम हो जाएगा। संविधान निर्माताओं ने पहले ही आरक्षण के बुनियादी ढांचे की कल्पना कर ली थी। संविधान में लिखा गया था कि सभी नागरिकों को न्याय और अवसरों के मामले में बराबरी दी जाए।
FM Arun Jaitley in Lok Sabha: This reservation bill ensures 'sabka saath, sabka vikas'. It is a move for equality, will enable social upliftment. pic.twitter.com/Eb81Yk840K
— ANI (@ANI) January 8, 2019
Last Updated Jan 8, 2019, 6:15 PM IST