जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच मायावती ने अशोक गहलोत सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। पिछले कुछ दिनों से मायावती कांग्रेस और राज्य की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और मायावती ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। वहीं अब मायावती ने बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस में शामिल हुए सभी छह विधायकों के खिलाफ कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है। जाहिर है ऐसे में कोर्ट कोई भी फैसला कर सकता है। हालांकि तकनीकी तौर पर बसपा के विधायकों ने पूरे विधायक दल के साथ कांग्रेस में विलय किया है।

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि राजस्थान में पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन दिया था लेकिन कांग्रेस ने धोखा देकर बसपा के विधायकों को तोड़ लिया और उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया था। हालांकि कांग्रेस इस तरह से धोखे बाजी पहले भी कर चुकी है। उन्होंने कहा कि पार्टी अशोक गहलोत और कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए सही मौके की तलाश में थी और अब बसपा को इसका मौका मिल गया है और वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेगी।

मायावती ने कहा कि छह विधायकों का कांग्रेस में जाना ही असंवैधानिक है और अब इस मामले को लेकर हमने कोर्ट जाने का फैसला किया है। असल में 2018 को राज्य में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस ने 99 और बसपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया था। लेकिन बाद में अशोक गहलोत ने बसपा के छह विधायकों को पार्टी में शामिल कर लिया और इसके बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 105 हो गई जो जरूरी मतों से चार ज्यादा थे।

कांग्रेस को समर्थन देने वाली बहनजी क्यों हैं नाराज

असल में बसपा ने राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया था। लेकिन पिछले साल से मायावती कांग्रेस के खिलाफ ज्यादा आक्रामक हैं। दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो रही हैं और इसका नुकसान बसपा और सपा को राज्य में उठाना पड़ सकता है। क्योंकि कांग्रेस का वोट बैंक भी इन्हीं दलों का है। कभी दलित, ओबीसी और मुस्लिम कांग्रेस के वोट बैंक हुआ करते थे। अब राज्य में प्रियंका गांधी सक्रिय हैं और महिला होने के नाते वह राज्य में दूसरी महिला नेता हैं। जबकि इससे पहले महज मायावती महिलाओं में बड़ा चेहरा हुआ करती थी।