कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले भी संकेत दे चुके हैं कि वह प्रियंका गांधी से दो महीने में किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं करते। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि यदि प्रियंका को बतौर मुख्यमंत्री 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पेश किया जाता है तो पार्टी को सियासी संजीवनी मिलेगी।
प्रियंका गांधी की सियासी पारी की शुरुआत के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। राहुल ने अपनी बहन, पूर्वी यूपी का प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है। राहुल ने सोमवार को प्रियंका और पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लखनऊ में रोड शो किया। इस दौरान कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि पार्टी यूपी में बैक फुट पर नहीं बल्कि फ्रंट फुट पर खेलेगी। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी का प्रभारी मुख्य रूप से 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
Rahul Gandhi in Lucknow: Nation's 'chowkidaar' stole money from Uttar Pradesh, other states, & Air Force. 'Chowkidaar chor hai'. UP is the heart of the country. We'll play on front-foot. Scindia Ji, Priyanka Ji & I won't rest until a govt of Congress' ideology is formed here. pic.twitter.com/Q9skuFruqc
— ANI UP (@ANINewsUP) February 11, 2019
राहुल ने कहा, ' उत्तर प्रदेश देश का दिल है। अब मैने प्रियंका और सिंधिया को यहां का महासचिव बनाया है। इनसे कहा है कि उत्तर प्रदेश में वर्षों से जो अन्याय हो रहा है उसके खिलाफ लड़ना है। राज्य में न्याय वाली सरकार लानी है। इनका पहला उद्देश्य लोकसभा चुनाव जरूर है लेकिन इनका लक्ष्य यूपी में कांग्रेस की सरकार बनाने का है। हम यहां फ्रंट फुट पर खेलेंगे, बैक फुट पर नहीं खेलने वाले हैं। जब तक यहां कांग्रेस की विचारधारा वाली सरकार नहीं बनेगी तब तक मैं, प्रियंका और सिंधिया चैन से बैठने वाले नहीं हैं।'
राहुल गांधी पहले भी इसका संकेत दे चुके हैं। वह कह चुके हैं कि प्रियंका से दो महीने में किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं करते। लिहाजा प्रियंका बिल्कुल दबाव महसूस न करें और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी करें। राहुल गांधी के ताजा बयान के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। दरअसल, राहुल कहीं न कहीं स्पष्ट रूप से संकेत दे रहे हैं कि यूपी में 2022 कांग्रेस खुद को एक मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करेगी।
2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी की कुल 403 सीटों में से कांग्रेस को केवल 7 सीटें मिली थीं। ऐसे में, कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि यदि प्रियंका गांधी को बतौर मुख्यमंत्री यूपी विधानसभा चुनाव में पेश किया जाता है तो पार्टी को सियासी संजीवनी मिलेगी। वर्ष 1989 के बाद से ही कांग्रेस यूपी में सियासी वनवास झेल रही है। 1989 के बाद से यूपी की सत्ता पर अलग-अलग कार्यकालों में एसपी, बसपा और भाजपा का ही कब्जा रहा है। ऐसे में देश के सबसे बड़े सूबे की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर पार्टी के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए कांग्रेस अब समूचे यूपी में प्रियंका गांधी को ही अपना चेहरा बनाकर प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है।
Last Updated Feb 11, 2019, 5:34 PM IST