अटकते.. झिझकते.. पर्चे से पढ़कर.. आखिरकार कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की वह प्रसिद्ध कविता पढ़ ही ली। जिसमें भगवान कृष्ण का हस्तिनापुर जाकर समझौते के आखिरी प्रयास का वर्णन है। प्रसंग की जानकारी भले ही नहीं हो, लेकिन प्रियंका ने इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने की बखूबी कोशिश की। लेकिन आखिरकार मामला तो जनादेश से ही तो तय होगा। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें इसी बात की याद दिलाई है।  

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हरियाणा के अंबाला में चुनावी रैली की। उन्होंने केन्द्र सरकार को निशाने पर लिया और इशारे से पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें अहंकारी साबित करने की कोशिश की। इसके लिए प्रियंका ने सहारा लिया राष्ट्रकवि दिनकर की अमर पंक्तियों का। 
जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है 
हरि ने भीषण हुंकार किया
अपना स्वरूप-विस्तार किया
डगमग-डगमग दिग्गज डोले
भगवान् कुपित होकर बोले-‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

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ऐसा कहकर प्रियंका वाड्रा ने पीएम मोदी को अहंकारी बताने की कोशिश की। लेकिन वंशवादी राजनीति का चैंपियन गांधी परिवार यह भूल जाता है कि लोकतंत्र में आखिरी फैसला जनता सुनाती है। चुनाव चल रहे हैं। 23 मई को जनादेश आ जाएगा। 
इसी बात की याद दिलाते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रियंका को जवाब दिया कि 23 मई को जब मतगणना हो जाएगी तो यह तय हो जाएगा कि कौन दुर्योधन है और कौन अर्जुन कौन है। 

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