लखनऊ। कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में विरोध और बगावत के बावजूद संगठन को मजबूत करने में जुटी हैं। कांग्रेस महासचिव और कांग्रेस के यूपी मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा शुक्रवार से दो दिन के लखनऊ दौरे पर होंगी। हालांकि प्रियंका संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इसके बावजूद गुटबाजी चरम हैं।

माना जा रहा है कि जिन जिलों में अभी तक संगठन के पदाधिकारी की घोषणा नहीं हुई हैं। उन पर प्रियंका अपनी मुहर लगा सकती है। पिछले दिनों प्रियंका के  कुछ पदाकारियों को पार्टी संगठन में कमान सौंपने के बाद दस बड़े नेताओं ने सोनिया गांधी से शिकायत की थी। इन नेताओं का कहना था कि वह कई सालों से पार्टी की सेवा की है। उसके बाद सगंठन में उन्हें जगह नहीं मिली है और कम अनुभवी नेताओं को संगठन में जगह दी गई है।

जिसके बाद इन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया था। वहीं प्रियंका गांधी  के करीबी और विधायक अजय कुमार लल्लू को राज्य की कमान सौंपे जाने के बाद नाराजगी कम नहीं हो रही है। असल में प्रियंका पूरी तरह से यूपी में फोकस कर रही है। लिहाजा पिछड़े वर्ग के लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन्होंने भाजपा को चुनौती दी है। अगर भाजपा के पिछले चुनावों का प्रदर्शन देखें तो भाजपा को ओबीसी वर्ग ने सत्ता तक पहुंचाया है। लिहाजा इसी को देखते हुए प्रियंका ने ये दांव खेला है। इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर तेजी से उभर रहे हैं।

प्रियंका ने कांग्रेस की जम्बोजैट प्रदेश कार्यसमिति के कम कर 40 कर दिया है। वहीं प्रियंका ने पदाधिकारी के स्थान पर सलाहकार बना दिए हैं। माना जा रहा प्रियंका दिल्ली में 14 दिसंबर को होने वाली भारत बचाओ रैली की तैयारियां का जाएजा भी लेंगी। क्योंकि इस रैली के जरिए कांग्रेस अपनी ताकत दिखाना चाहती है। फिलहाल प्रियंका ने यूपी में ही फोकस किया है। इसके चलते उन्होंने झारखंड में चुनाव प्रचार से दूरी बनाई है।