आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रत्याशियों का भविष्य कांग्रेस का शक्ति प्रोजेक्ट तय करेगा। इसके जरिए टिकट चाहने वाले प्रत्याशियों के बारे में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जाएगा। उसके बाद ही उनको दिए जाने वाले टिकट का फैसला हाई कमान करेगा।
आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रत्याशियों का भविष्य कांग्रेस का शक्ति प्रोजेक्ट तय करेगा। इसके जरिए टिकट चाहने वाले प्रत्याशियों के बारे में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जाएगा। उसके बाद ही उनको दिए जाने वाले टिकट का फैसला हाई कमान करेगा। कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले तीन लाख कार्यकर्ताओं को इससे जोड़ने का फैसला किया है।
राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पूरे देश में प्रोजेक्ट शक्ति को शुरू किया था। हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि पार्टी ने पिछले साल छत्तीसगढ़ राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रत्याशियों के चयन के लिए इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल किया था। यही नहीं इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चयन में भी ‘प्रॉजेक्ट शक्ति’ की राय का अहम रोल रहा है। अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में भी ‘प्रोजेक्ट शक्ति’ का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। ये प्रोजेक्ट भाजपा के द्वारा कई सालों से किए जा रहे सोशल फीड बैक की तरह ही है। उत्तर प्रदेश में दो साल पहले हुए चुनाव में भाजपा ने प्रत्याशियों के चयन के लिए कई तरह की शर्तें लगाई थी।
इसमें से एक शर्त ये भी थी कि प्रत्याशी को सोशल मीडिया में सक्रिय होना चाहिए और उसके पचास हजार से ज्यादा फॉलोवर भी होने चाहिए। इसकी तर्ज पर पर अब कांग्रेस में सोशल मीडिया में सक्रिय होने की शर्त लगाई गयी है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि शक्ति प्रोजेक्ट के जरिए लोकसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से, किसी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से या फिर किसी बूथ के कार्यकर्ताओं से एसएमएस के जरिए उनकी राय मांगी जा सकती है। इसके साथ ही उसे फोन कर कोई भी जानकारी प्रत्याशी के बारे में ली जा सकती है। कांग्रेस ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले तीन लाख कार्यकर्ताओं को 'प्रॉजेक्ट शक्ति' से जोड़ने का लक्ष्य रखा है और हालांकि अभी तक इससे महज 32 हजार ही लोग जुड़े हैं।
क्या है कांग्रेस शक्ति प्रोजेक्ट
असल में कांग्रेस ने भाजपा की तर्ज पर 2018 में ‘शक्ति’ प्रोजेक्ट को शुरू किया था। ताकि आलाकमान सीधे तौर पर कार्यकर्ताओं से जुड़ सके और कार्यकर्ता अपनी बात इसके जरिए अपने नेताओं को पहुंचा सके। हालांकि अभी तक इस पर कोई बड़ा परिणाम देखने को नहीं मिला है। लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव पार्टी को प्रत्याशी चुनने में इससे मदद मिलेगी।
Last Updated Feb 2, 2019, 2:46 PM IST