एनआरसी लिस्ट के मुताबिक, राज्य में रहने वाले 2.89 करोड़ लोग वैध नागरिक हैं। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़नशिप, यानी एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटोग्राफ हैं, जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं।

गुवाहाटी--पूर्वोत्तर का द्वार असम आज बंद रखा गया है। बंद का अह्वान असम के 40 संगठनों ने बुलाया है। इस बंद का असर पूरे असम में दिख रहा है। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में सड़कें और बाजार सूने हैं। बंद को देखते हुए राज्य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अभी तक किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं है।

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के नेता अखिल गोगोई ने बताया कि असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) और अन्य 40संगठनों ने एक साथ मिलकर बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है। असम के वित्‍त मंत्री हेमंत बिस्‍व शर्मा ने कहा है कि राज्‍य में सभी दुकान खुली रहनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी आवश्‍यक रूप से ऑफिस आएं, अगर ऐसा नहीं होता है तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।

 

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साल 2013 में राज्य में अवैध शरणार्थियों मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और निगरानी में यह काम शुरू हुआ था, जिसके बाद गत 30 जुलाई में फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया।

आपको बता दें कि एनआरसी लिस्ट के मुताबिक, राज्य में रहने वाले 2.89 करोड़ लोग वैध नागरिक हैं। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़नशिप, यानी एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटोग्राफ हैं, जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं।

 राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में यह आश्वासन भी दिया है कि जो लोग वैध नागरिक नही पाए गए हैं, उन्हें निर्वासित नहीं किया जाएगा। वैसे, सुप्रीम कोर्ट ने जिन 40 लाख लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं, उन पर किसी तरह की सख्ती बरतने पर फिलहाल के लिए रोक लगाई है।