जम्मू कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों के काफिले गुजरने के दौरान प्रमुख सड़कों और राजमार्गों पर आम नागरिकों की आवाजाही पर कुछ समय की पाबंदी रहेगी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की।

पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आत्मघाती हमले के एक दिन बाद सिंह ने हुर्रियत कान्फ्रेंस के कट्टरपंथी और अलगाववादी नेताओं का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान और उसकी जासूसी एजेंसी आईएसआई से धन पा रहे लोगों को दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जानी चाहिए। इस बयान के बाद माना जा रहा है कि सरकार इसे हटाने पर विचार कर रही है।

सिंह ने यहां उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘सेना और सुरक्षा बलों के काफिले की आवाजाही के दौरान कुछ समय के लिए असैन्य यातायात प्रतिबंधित रहेगा। इससे असुविधा हो सकती है और इसके लिए मैं अफसोस जताता हूं लेकिन जवानों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है।’ 

गृह मंत्री पिछले तीन दशक में राज्य में सुरक्षा बलों पर हुए सबसे भयावह आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर के कुछ तत्वों के तार आईएसआई और आतंकी संगठन से जुड़े हैं। हम आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जीतेंगे।’ 

सिंह ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने का निर्देश दिया है।

घायलों का हाल जाना, शहीद जवान के पार्थिव शरीर को दिया कंधा

राजनाथ ने सीआरपीएफ परिसर में दिवंगत जवानों की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया। गृह मंत्री ने एक जवान के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। इसके बाद सभी शहीद जवानों के पार्थिक शरीर विमान से उसके पैतृक स्थल रवाना कर दिए गए।

गृह मंत्री के अलावा, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, गृह सचिव राजीव गौबा, सीआरपीएफ महानिदेशक आर आर भटनागर, जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह और अन्य लोगों ने शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। राजनाथ ने कहा, ‘राष्ट्र हमारे बहादुर सीआरपीएफ जवानों के सर्वेाच्च बलिदान को नहीं भूलेगा। मैंने पुलवामा के शहीदों को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दी है। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।’ 

इसके बाद राजनाथ ने अस्पताल जाकर घायल जवानों का हालचाल जाना।