पंजाब विधानसभा ने विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर ब्रिटिश सरकार से मांफी मांगने को कहा है। इस प्रस्ताव पर राज्य में मुख्य विपक्षी दलों ने भी राज्य सरकार को समर्थन दिया है। पंजाब सरकार ने जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ साल होने के मौके पर ये प्रस्ताव पारित किया है। 

पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव के बाद केन्द्र सरकार पर दबाव बन गया है कि वह ब्रिटिश सरकार से भी इस बारे में मांफी मांगने के प्रस्ताव को पारित करे। राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने ये प्रस्ताव पेश किया और सभी राजनीतिक दलों ने अपने मतभेदों को भुलाकर इसका समर्थन किया। पंजाब सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक भारत में ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासनकाल की सबसे भयानक यादों में से एक 13 अप्रैल 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बेगुनाह प्रदर्शनकारियों का त्रासद नरसंहार है।

इसे ब्रिटिश सरकार ने अंजाम दिया। ताकि देश में आजादी की चिंगारी को शांत किया जा सके। सरकार ने कहा कि दमनकारी रोलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण स्थानीय प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शर्मनाक सैन्य कार्रवाई की गयी, जिसकी दुनियाभर द्वारा निंदा की गयी थी। लेकिन अभी तक ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है। लिहाजा ब्रिटिश सरकार को माफी मांगनी चाहिए। सरकार के प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि इसकी उचित स्वीकृति केवल ब्रिटेन सरकार द्वारा भारत के लोगों से औपचारिक माफी ही हो सकती है, क्योंकि हम इस महान त्रासदी की शताब्दी मनाने जा रहे हैं।

इस प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि सदन में सर्वसम्मति से प्रदेश सरकार से इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाने की अनुशंसा करता है कि वह ब्रिटिश सरकार पर अमृतसर के जलियांवाला बाग में निर्दोष लोगों के नरसंहार के लिए माफी मांगने के दबाव बनाये। गौरतलब है कि जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश भारत सेना की टुकड़ी ने 13 अप्रैल 1919 को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जलियांवाला बाग में एकत्र हुए नागरिकों पर गोलीबारी की थी और इसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गये थे। इस नरसंहार को इतिहास में जलियांवाला बाग गोलीकांड कहा जाता है।