पटना:  लालू यादव के दोनों बेटों की आपसी वर्चस्व की जंग में राष्ट्रीय जनता दल का भारी नुकसान हो रहा है। इस लोकसभा चुनाव में इसकी बानगी दिख गई है। जब विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली आरजेडी को बिहार की 40 सीटों में से मात्र एक सीट पर जीत हासिल हुई। 

आरजेडी के सभी नेता तेजस्वी और तेजप्रताप के झगड़े की वजह से पार्टी को होने वाले नुकसान से परेशान है। उधर लालू यादव के जेल से छूटने का कोई आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपने दोनों बेटों के बीच का झगड़ा सुलझाने का जिम्मा उठाया है। 

हाल ही में हुई आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राबड़ी देवी ने दोनों भाईयों के बीच आसन जमा लिया। जैसे वह ये संदेश देना चाह रही हों कि मैं तुम दोनों के बीच सेतु का काम करुंगी। 

 राष्ट्रीय जनता दल ने अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसनी शुरु कर दी है। आरजेडी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेजस्वी यादव को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी गई है। इस बैठक में मौजूद उनके बड़े भाई तेजप्रताप ने भी बैठक में तेजस्वी को अपना 'अर्जुन' बताते हुए समर्थन की घोषणा कर दी है।

इस पूरी बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी दोनों भाइयों में बीच युद्ध समाप्त कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाते नजर आ रही हैं। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपने दोनों बेटों के बीच बैठी थीं, जैसे वह दोनों को फिर से किसी भी तरह के झगड़े से रोकना चाहती हों।  वह तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच शांति कायम करने की पूरी कोशिश कर रही हैं। 

इस बैठक में राबड़ी देवी ने भी सभी नेताओं को क्षेत्र में जाने का निर्देश देते हुए पार्टी को फिर से मजबूत और सक्रिय करने पर जोर दिया है। 

हालांकि इस बैठक में तेजप्रताप ने सभी को साथ लेकर चलने और एकपक्षीय फैसला नहीं करने की बात करके फिर से एक बार यह इशारा किया है कि तेजस्वी से उनका झगड़ा पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। 

लेकिन राबड़ी देवी अपने दोनों बेटों के बीच संतुलन बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं।