मीडिया में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने राफेल मुद्दे को उठाने के लिए भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के पांच नेताओं से मुलाकात की ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की छवि खराब की जा सके। चूंकी, यूरोपीय फर्म यह चाहता था कि राफेल सौदा परवान ही ना चढ़े। 

पत्रकार विकास भदौरिया ट्वीट करते हैं कि " बड़ी लड़ाकू विमान कंपनी के सेल्स डायरेक्टर दो दलों के सीनियर नेताओं से मिले ताकि यह मामला इस तरह उछले की प्रधानमंत्री और सरकार की छवि धूमिल हो और इसके बाद डील कैंसिल होने की सूरत में कंपनी, आर्म्स डीलरों और राजनीतिक दलों को फायदा हो, इसका पता लगाया जाय"।

 

विकास भदौरिया  ने एक और ट्वीट किया है कि पिछले साल के अगस्त महीनें में जर्मनी के हैम्बर्ग में कंपनी का कंपनी के एक्जक्यूटिव भारत के सीनियर लिडर से मिले जिनके साथ दो और नेता भी थे। भदौरिया आरोप लगाते हैं कि एक घंटे की बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने राफले सौदे को घोटाले के रूप में आगे बढ़ाने पर चर्चा की।

अनुभवी पत्रकार कंचन गुप्ता ने भी इस मुद्दे के बारे में ट्वीट किया है कि, "एक स्टील टाइकून ने हैम्बर्ग में यूरोपियन डिफेंस कंपनी के प्रतिनिधियों और भारतीय नेताओं के बीच इस मीटिंग का आयोजन करवाया (जो कि तीसरे देश में आयोजित हुई थी)। ऐसी चर्चा है"।

 


इस महीने की शुरुआत में, माय नेशन ने खबर प्रकाशित की थी कि राफले सौदे के विवाद को उठाने से पहले, एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता ने अमेरिकी हथियार निर्माताओं के साथ बैठकें की थीं।