नई दिल्ली--राफेल मामले में यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। पुनर्विचार याचिका में आरोप लगाया गया है कि राफेल मामले पर फैसला केंद्र की ओर से बिना हस्ताक्षर के सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए नोट में किए गए स्पष्ट तौर पर गलत दावों पर आधारित है। 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील को देश की जरूरत बताते हुए इसके खिलाफ दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस पार्टी और रहुल गांधी के लिए के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया क्योंकि विपक्षी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी। राहुल गांधी तो अपनी हर सभा में राफेल को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करते  रहे हैं।  
दरअसल कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने यूपीए की तुलना में तीन गुना अधिक कीमत देकर राफेल विमान का सौदा किया है। याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने की मांग कि है। राफेल पर हाल के फैसले में कई गलतियां है। 

यह फैसला सरकार द्वारा किए गए गलत दावों पर आधारित है। जो सरकार के बिना हस्ताक्षर के सीलबंद लिफाफे में दिया था और इस तरह से स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि मामले में फैसला सुरक्षित रखने के बाद कई तथ्य सामने आए है। जिसमे मामले की तह तक जाने की जरूरत है।

तीनों याचिकाकताओ ने 14 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जाहिर की है। तीनों ने कहा राफेल पर सीएजी की कोई भी रिपोर्ट न तो सबमिट की गई और न उसकी जांच हुई। ऐसे में यह चौंकाने वाली बात है कि फैसला सीएजी रिपोर्ट के बारे में पूरी तरह से गलत सूचना पर दिया गया।