राफेल सौदे की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद से केंद्र सरकार कांग्रेस पर हमलावर है। पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दावा किया था कि मोदी सरकार ने शीर्ष अदालत को गुमराह किया है। सरकार ने राहुल के दावे को खारिज करने के लिए शनिवार को शीर्ष अदालत में एक सुधार याचिका दायर की है। इसमें अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गई एक टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है, इसलिए जनहित में यह जरूरी है कि इसमें सुधार किया जाए। 

सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से दायर की गई याचिका में राफेल मामले में शीर्ष अदालत द्वारा 14 दिसंबर, 2018 को दिए गए फैसले के पैराग्राफ 25 के दो वाक्यों में सुधार की मांग की गई है। इसके अनुसार, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 25 में दो वाक्यों में गलती है। संभवतः अदालत को सरकार की ओर से जो सीलबंद नोट सौंपे गए थे, उसके दो वाक्यों की गलत व्याख्या हुई। फैसले में की गई टिप्पणियों को लेकर  सार्वजनिक रूप से विवाद खड़ा हो रहा है और जनहित में अदालत द्वारा इसमें सुधार किया जाना चाहिए।'

सरकार की ओर से दायर याचिका के अनुसार, यह तथ्य सही है कि सरकार ने सीएजी के साथ इस समझौते की कीमतों को ब्यौरा साझा किया है, वहीं दूसरा मुद्दा संसद की लोक लेखा समिति से जुड़ा है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने सीलबंद लिफाफे में दिए गए उत्तर में कहा था कि सीएजी की रिपोर्ट को लोक लेखा समिति देखती है जबकि फैसले में कहा गया है कि रिपोर्ट को पीएसी द्वारा 'देख लिया गया' है। 

इस  संबंध में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि अदालत अपने फैसले के पैराग्राम 25 में सीधे सुधार कर सकती है,  ताकि इसे लेकर किसी संदेह अथवा गलतफहमी की आशंका को दूर किया जा सके।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर दिए गए अपने फैसले में कहा है कि लोक लेखा समिति (पीएसी) को सीएजी ने अपनी रिपोर्ट भेज दी है। हालांकि राहुल का दावा था कि संसदीय समिति को ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस समिति के अध्यक्ष लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।