वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को चुनाव न लड़ाने के फैसले को लेकर कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है। प्रियंका के चुनावी रण में न उतरने को लेकर कांग्रेस नेताओं के विरोधाभाषी बयान आ रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी नेता एक-दूसरे को इस फैसले का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने यह कहकर सनसनी मचा दी है कि वाराणसी से चुनाव न लड़ने का फैसला खुद प्रियंका गांधी का था। एक संवाददाता सम्मेलन में  पित्रोदा से पूछा गया था कि क्या राहुल गांधी को वाराणसी से प्रियंका की दावेदारी पर भरोसा नहीं था। इस पर पित्रोदा ने कहा, 'यह सही नहीं है। पार्टी अध्यक्ष ने आखिरी फैसला उन्हीं पर छोड़ दिया था। यह प्रियंका गांधी का फैसला है। उन्हें लगा कि उन पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने सोचा कि किसी एक सीट पर ध्यान देने के बजाय उन्हें दूसरे काम करने चाहिए। इसलिए अंतिम फैसला उन्हीं का था। उन्होंने ही इसे लिया।'

उधर, सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले राजीव शुक्ला ने कहा, प्रियंका गांधी को वाराणसी से न लड़ाने का फैसला राहुल गांधी का था। प्रियंका तो वाराणसी से लड़ने की इच्छुक थी। उन्होंने अपनी राय से पार्टी अध्यक्ष को अवगत करा दिया था। लेकिन राहुल गांधी ने वाराणसी में अजय राय के काम को देखते हुए उन्हें ही चुनाव लड़ने का मौका दिया। 

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प्रियंका ने कुछ दिन पहले वायनाड में कहा था,  'अगर कांग्रेस अध्यक्ष मुझसे वाराणसी से चुनाव लड़ने को कहते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होगी।' इससे पहले, रायबरेली में कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान जब उन्हें सोनिया गांधी की जगह चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो प्रियंका ने कहा, 'वाराणसी से लड़ना कैसा रहेगा?' इसी बयान के बाद से उनके वाराणसी से चुनाव लड़ने की अटकलों को हवा मिली।