कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही 'अब होगा न्याय' के वादे के साथ साल 2019 के चुनावी समर में उतरे हैं लेकिन कई लोग हैं, जिनसे किया वादा वह नहीं निभा पाए। राहुल ने साल 2008 में बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में जिस आदिवासी महिला की झोपड़ी में खाना खाया था, उसे दस साल बाद जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिला है। 

यही नहीं, राहुल गांधी 2008 में बांदा के माधोपुर गांव भी गए थे। वहां बीमारी से जूझ रहे दलित समुदाय के अच्छे लाल से ‘अच्छे दिन’ का वादा किया था। अच्छे लाल को भी नौ साल के इंतजार के बाद 2017 में लोहिया आवास योजना के तहत पक्का घर मिल पाया। राहुल ने इन दोनों गांव को समस्याओं से दूर करने का संकल्प लेते इन्हें गोद लिया था। लेकिन दोनों गांवों को मूलभूत सुविधाओं का इंतजार है। 

राहुल ने साल 2008 में टीकमगढ़ के टपरियन गांव में आदिवासी समुदाय की भुंअन बाई के घर भोजन कर गरीबी से जूझ रहे इस परिवार को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार बनने का वादा किया था। इसके बाद वह माधोपुर गए। लगभग दस साल बाद चुनाव प्रचार के सिलसिले में मंगलवार को जब राहुल ने टीकमगढ़ की यात्रा की तो इस इलाके के लोगों में उनकी टपरियन और माधोपुर दौरे की यादें ताजा हो गईं।

बीते दस साल में राहुल के गोद लिए दोनों गावों की सूरत में कोई बदलाव नहीं आया। लोगों की नजर सिर्फ भुंअन बाई और अच्छे लाल के पक्के घरों की तरफ दौड़ती हैं। जो उन्हें पीएम आवास योजना और लोहिया आवास योजना में मिले हैं। बाकी गांव की तस्वीर जस की तस है। 

राहुल का गोद लिया गांव टपरियन बदहाल

टीकमगढ़ के टपरियन गांव में घुसते समय एक बोर्ड पर नजर जाती है। इस पर ‘राहुल ग्राम टपरियन’ लिखा है। जिला कांग्रेस कमेटी ने यह बोर्ड लगवाया था। इस बोर्ड की बदरंग हालत से गांव की बदहाली का अंदाजा लग जाता है। ग्राम पंचायत सदस्य दशरथ ने बताया कि राहुल गांधी ने इस गांव को गोद जरूर लिया था लेकिन 1500 की आबादी वाले गांव में स्कूल, पानी और रोजगार की समस्या बरकार है। गांव में कक्षा पांच तक सिर्फ एक स्कूल है। गांव के अधिकांश बच्चे पांचवीं तक ही पढ़ते हैं। गिने चुने बच्चे ही आगे की पढ़ाई कर पाए हैं। 

राहुल ने खाना खाया पर दस साल कुछ नहीं हुआ

गांव के गेट से चंद कदमों की दूरी पर आदिवासियों की झोपड़ियां हैं। इनके बीच प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना भुंअन बाई का एकमात्र पक्का आवास गांव की पहचान बन गया है। वह बताती हैं, ‘राहुल गांधी ने हमारे घर आकर भोजन किया था, उससे हमें पहचान जरूर मिली, लेकिन दस साल में जिंदगी की समस्याओं का कोई हल नहीं मिला। अब जाकर पिछले साल पीएम आवास योजना में पक्का घर मिला। इसके लिए कुछ घूस भी देनी पड़ी।’ भुंअन बाई ने बताया कि उनके चार बेटे हैं, चारों बेरोजगार हैं। 

राहुल गांधी द्वारा फिर कभी हाल चाल लेने के सवाल पर उन्होंने बताया, ‘कभी कोई नहीं आया। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पक्का घर देने की पेशकश करने कुछ भाजपा नेता जरूर आए थे।’ पंचायत सदस्य जालिम सिंह ने बताया कि 2016-2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना में गांव में सिर्फ आठ झोपड़ियों को पक्के घर में तब्दील किया जा सका है। 

बांदा के अच्छे लाल के जीवन में नहीं बदलाव

वहीं बांदा जिले के माधौपुर गांव की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। दस साल पहले राहुल से मुलाकात को याद करते हुए अच्छे लाल ने बताया, ‘बेटे की मौत के गम में डूबे हमारे परिवार को ढांढस बंधाते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि हम आपका बेटा वापस नहीं लौटा सकते हैं, बल्कि आपके लिए बेटा बनकर आपकी समस्याओं को दूर करने में मददगार जरूर बन सकते हैं।’ 

 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने महोबा आए राहुल गांधी को स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के हवाले से अच्छे लाल के जीवन में कोई सुधार नहीं आने की याद दिलाई गई थी। उसके तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर जिलाधिकारी ने खुद गांव आकर लोहिया आवास योजना के तहत उनका घर बनवाया। अच्छे लाल को राहुल की मदद से बेहतर चिकित्सा सहायता के कारण तपेदिक से निजात जरूर मिली लेकिन अब उन्हें डेढ़ लाख रुपये के कृषि कर्ज से उबरने की दरकार है।

गांव की प्रधान मधुरिमा ने बताया कि 2017 में अच्छे लाल की झोपड़ी पक्के घर में तब्दील होने के साथ ही जिलाधिकारी ने गांव में चौपाल लगाकर लोहिया आवास योजना के उपयुक्त पात्रों की पहचान की थी। इसके बाद 15 लोगों को 2.70 लाख रुपये की आर्थिक मदद से लोहिया आवास और 70 हजार रुपये की आर्थिक मदद से 223 लोगों को इंदिरा आवास बना कर दिए गए। इसके अलावा मोदी सरकार की पीएम आवास योजना के तहत गांव को 1.20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता से स्वीकृत 12 आवास में से छह बन चुके हैं। छह आवास का निर्माण अभी इंतजार के दौर में हैं। (इनपुट पीटीआई)