पांच साल में आडवाणी, सोनिया गांधी, मुलायम सिंह, देवगौड़ा, शत्रुघ्न सिन्हा सहित 31 अन्य सांसद भी रहे सवालों को लेकर रहे 'खामोश'।
16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो गया है। विभिन्न दलों के नेताओं की सक्रियता और सदन में उठाए गए मुद्दों पर आधारित निचले सदन के रिपोर्ट कार्ड में कई रोचक तथ्य सामने आए हैं। इन दिनों लगभग रोजाना प्रेस कांफ्रेंस कर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में पांच साल में एक भी सवाल नहीं पूछा।
संसदीय कामकाज के विश्लेषण से संबंधित वेब पोर्टल ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस डॉट कॉम’ ने 16वीं लोकसभा के कामकाज पर बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और सपा सांसद मुलायम सिंह यादव ने पिछले पांच साल में एक भी सवाल नहीं पूछा।
रिपोर्ट के अनुसार 16वीं लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई सदस्य ‘सांसद विकास निधि’ खर्च कर पाने में पीछे रहे। रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल ने सांसद निधि की लगभग 60.56 प्रतिशत राशि खर्च की, तो वहीं मोदी भी 62.96 फीसदी राशि खर्च कर पाए।
वहीं, रिपोर्ट में लोकसभा में सदस्यों की उपस्थिति के विश्लेषण के अनुसार पिछले करीब पांच बरसों में 80 फीसदी सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज कराई। रिपोर्ट में पार्टी के आधार पर सदस्यों के विश्लेषण से पता चलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों की उपस्थिति पांचवे पायदान पर रही, जबकि कांग्रेस के सदस्य इस मामले में 21वें स्थान पर रहें।
16वीं लोकसभा के अंतिम सत्र के अंतिम दिन जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल में एक भी सवाल नहीं पूछने वालों में आडवाणी, सोनिया, राहुल, मुलायम और देवगौडा के अलावा भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा सहित 31 अन्य सांसद भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सवाल पूछने के मामले में राकांपा सांसद सुप्रिया सुले, विजय एस मोहिते पाटिल और धनंजय महादिक सबसे आगे रहे। 16 वीं लोकसभा के 93 प्रतिशत सदस्यों ने पिछले पांच साल में 1.42 लाख से ज्यादा सवाल पूछे। इनमें 171 सांसदों ने सर्वाधिक सवाल किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर पूछे जबकि कुछ अन्य ने कृषि से जुड़े सवाल भी उठाये।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच बरसों में संसदीय कार्यवाही में 65 हजार से ज्यादा बार व्यवधान उत्पन्न हुआ। इस वजह से सदन की कार्यवाही के 500 से ज्यादा घंटे बर्बाद हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 16वीं लोकसभा की कार्य उत्पादकता 87 प्रतिशत रही। सबसे अधिक काम 2016 के बजट सत्र में, जबकि सबसे कम काम बीते शीतकालीन सत्र में हुआ। सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान पड़ने के कारण लोकसभा में 191 बार कोरम पूरा नहीं हो पाने का संकट भी खड़ा हुआ।
रिपोर्ट में विधायी कार्य का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि 16वीं लोकसभा में 219 सरकारी विधेयक पेश किये गये। इनमें 93 प्रतिशत विधेयकों को सदन की मंजूरी मिली। इस दौरान 1117 निजी विधयेक भी पेश किये गये लेकिन इनमें से एक भी विधेयक पारित नहीं हो सका।
सदस्यों की व्यक्तिगत उपस्थित के मामले में भी भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्र और बीजू जनता दल के डा कुलमणि सामल सदन में शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराते हुए अव्वल रहे। रिपोर्ट के मुताबिक सांसद निधि खर्च करने के मामले में राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तराखंड के सांसद सबसे फिसड्डी रहे। (इनपुट भाषा)
Last Updated Feb 13, 2019, 8:13 PM IST