चुरु। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी में भी बगावत के शुरू दिखाई देने लगे हैं। 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में नाम काटने के बाद राजस्थान के चूरू से बीजेपी सांसद राहुल कंस्वा ने 8 मार्च को बगावत का बिगुल फूंक दिया। राहुल ने पहले अपने हजारों समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया और फिर बगावती रुख का ऐलान किया।

निर्दल लड़ेंगे या कांग्रेस का आफर स्वीकार करेंगे, अभी तय नहीं
चूरू से बीजेपी सांसद राहुल कंस्वा ने अपने आवास पर बुलाई समर्थकों की भीड़ के मध्य अपना पक्ष रखते हुए टिकट काटने पर नाराजगी जताई। उन्होंने भीड़ से पूछा कि क्या उनका टिकट काटना उचित है? उन्हें आगे क्या करना चाहिए? इस बीच वहां मौजूद लोगों ने एक स्वर में खुद फैसला लेने को कहा। साथ ही आश्वासन दिया कि चूरू की जनता उनके साथ है। इसके बाद राहुल ने चुनाव लड़ने का संकेत देते हुए कहा कि जनता ने फैसला ले लिया है और मैंने जनता की आवाज सुन ली है। आपकी भावनाओं का मैं सम्मान करता हूं। मुझे बस आप लोगों का साथ चाहिए। हालांकि राहुल ने भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह कांग्रेस से मिले ऑफर को चुनेंगे या निर्दलीय ताल ठोकेंगे।

राहुल ने कहा, "कोई एक व्यक्ति हमारे बच्चों के भविष्य का फैसला नहीं करेगा"
राहुल ने बिना किसी का नाम लिए बीजेपी के कुछ नेताओं पर भी हमला किया। राहुल कंस्वा ने कहा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र का बच्चा-बच्चा अपने भविष्य का फैसला करेगा। यह कोई एक व्यक्ति नहीं तय कर सकता कि कौन यहां चुनाव लड़ेगा और कौन नहीं?  अहंकारियों के आगे न मै कभी झुका हूं और न कभी झुकूंगा। 

 

राहुल ने कहा मैंने बहुत सवाल पूछे, नहीं मिला सार्थक उत्तर 
राहुल ने कहा टिकट कटने के बाद में बहुत विचलित हो गया था। इसी दौरान मैंने यह निर्णय लिया कि मैं अपने लोगों के बीच जाऊंगा और उनसे पूछूंगा। वह जो निर्णय देंगे, वह अच्छा रहेगा। तब आपके पास आया हूं।  उन्होंने कहा इस रुख को अपनाने से पहले मैंने बहुत लोगों से प्रश्न  किया। सोशल मीडिया के जरिए सवाल उठाए, लेकिन कोई सार्थक जवाब नहीं मिला।

25 साल से है कंस्वा परिवार का कब्जा
राजस्थान में बीजेपी ने पहली सूची में 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। से इस बार बीजेपी ने देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है, जो पैरालंपिक में जैवलिन थ्रोअर खिलाड़ी रहे हैं। जहां तक राहुल की बात है तो वह जाट समुदाय से आते हैं और 2014 और 2019 में वह जीत चुके हैं। इससे पहले इसी सीट पर वर्ष 1999, 2004 और 2009 में उनके पिता राम सिंह कंस्वा सांसद रह चुके हैं। यह उनकी परंपरागत सीट बन चुकी है।

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