जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत अलग-अलग घोषणाएं करके जनता को साधने में लगे हैं। योजनाओं को अमली जामा पहनाने में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। इसकी तुलना में गवर्नमेंट की आय कम है। सरकार कर्ज लेकर योजनाओं को चलाने में लगी है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से जारी रिपोर्ट ने यह उजागर किया है।

राजस्थान सरकार ने कितना पैसा लोन लिया?

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान सरकार ने अप्रैल से अगस्त तक करीबन 12288 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। आने वाले 3 महीनों में करीबन 14000 करोड़ रुपए का और कर्ज लेने की तैयारी है। साल 2022-23 में सरकार का कर्ज 537103 करोड़ रुपये हो गया था, जबकि एक साल कर्ज 458089 करोड़ रुपये का था। 

लोन लेकर घोषणाओं को पूरा करने में लगी सरकार

जानकारों का कहना है कि सरकार लोन ​के रूप में ली गई यह पूरी धनराशि आने वाले 6 महीनों में अपनी घोषणाओं के क्रियान्वयन में लगा रही है। अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना में सालाना करीबन 4500 करोड़ और मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना के तहत 1200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। फ्री बिजली के लिए भी सालाना 7000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त पैसा खर्च हो रहा है। सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन की धनराशि में बढ़ोत्तरी की है, जिसमें सालाना 12000 करोड़ का खर्च बढ़ा है।  उज्ज्वला योजना में भी 750 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।

नई सरकार क्यों अक्सर कहती है ये बात​?

बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरपत सिंह कहते हैं कि राजस्थान अब कर्ज के जाल में फंस चुका है। गरीबों पर ही इसका असर भी पड़ने वाला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश में जब भी कोई नई सरकार सत्ता में आती है तो वह यही तर्क देकर एक-दो साल तक विकास कार्यों को आगे नहीं बढ़ाती है। कि पूर्व की सरकार ने खजाना खाली कर रखा था। लोन लिया था। उसी को चुकाया जा रहा है। 

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