जयपुर। राजस्थान में सत्ताधारी अशोक गहलोत सरकार राज्यसभा चुनाव से पहले डरी हुई है। सरकार को लगता है कि भाजपा कांग्रेस में सेंध लगा सकती है और इसके लिए राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक ने राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख को पत्र लिख  कर इसके बारे में अंदेशा जताया है कि विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों को खरीद सकते हैं। असल में पूरा खेल राज्यसभा चुनाव को लेकर है जहां संख्याबल न होने के बावजूद भाजपा ने दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतार दिया  है। जिसके बाद राज्य की गहलोत सरकार दबाव में आ गई है।

राज्य की कांग्रेस सरकार ने राजस्‍थान की अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा कांग्रेस के विधायकों को लालच दे रही है और कुछ विधायकों को 25 करोड़ रुपये का ऑफर किया है। असल में राज्य में राज्यसभा की 3 सीटों पर चुनाव होने हैं और इससे पहले राज्य में सियासी गतिविधियों तेज हो गई है। कांग्रेस को डर है कि भाजपा राज्य में गुजरात की तरह कोई बड़ा खेल कर सकती है। लिहाजा इससे पहले ही कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर खुद को दुरूस्त करने की कोशिश में लगी है और पार्टी के विधायकों को एकजुट कर रही है।

कांग्रेस का दावा है कि भाजपा ने विधायकों को लोभ  दिया है। लिहाजा इसके लिए विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी को पत्र लिखकर राज्य का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। जोशी ने भाजपा पर राज्य सरकार को अस्थिर करने के साथ ही कांग्रेस और सरकार समर्थक निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए लोभ देने का आरोप लगाया है। जोशी ने लिखा है कि भाजपा कर्नाटक, मध्य प्रदेश व गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी कांग्रेस में विधायकों को लालच दे रही है। भाजपा कांग्रेस के साथ ही सरकार समर्थक निर्दलीय विधायकों को साधने की कोशिश कर रही है। लिहाजा इसकी जांच हो। हालांकि कांग्रेस ने अपने आरोपों में किसी नेता का नाम नहीं लिया है। लेकिन राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने दबाव बनाने के लिए अपना दांव खेल दिया है।

आखिर क्या है माजरा

असल में राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों पर 19 जून को चुनाव होना है। संख्याबल के आधार पर कांग्रेस दो सीटें आसानी से जीत जाएगी जबकि एक सीट भाजपा के खाते में आएगी। लेकिन भाजपा ने अंतिम समय में अपना दूसरा प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिया है।  जिसके बाद कांग्रेस के खेमे में हलचल मच गई है। भाजपा ने राजेन्द्र गहलोत को उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में ओंकार सिंह लखावत को भी मैदान में उतार दिया है।  लिहाजा कांग्रेस दबाव में आ गई। राज्य की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं।  वहीं 12 निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं।