लक्ष्यदीप के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं इन दिनों चर्चा में हैं। देश के पूर्व  प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनके परिवार द्वारा 1987 में इन सेवाओं का दुरुपयोग करने का मामला सामने आने के बाद बड़ा सियासी मुद्दा खड़ा हो गया है। 

फिलहाल इन हेलीकॉप्टर सेवाओं को रोक दिया गया है। इसके बाद लक्ष्यदीप के प्रशासक ने केंद्र से मदद की गुहार लगाई है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने दावा किया है कि सरकार की ओर से साल 1987, 2009 और 2018 में उन्हें तीन हेलीकॉप्टर मुहैया कराए गए थे। बताया जाता है कि सबसे पहले मिले हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपनी लक्ष्यदीप के आलीशान दौरे के लिए भी किया। अब इनमें से दो हेलीकॉप्टर सेवा में नहीं हैं जबकि एक में बार-बार तकनीकी खराबी आती रहती है। 

प्रशासन का कहना है कि अगर उन्हें ये हेलीकॉप्टर सेवा वापस नहीं मिलती है तो मानसून के दौरान बड़ी परेशानी खड़ी सकती है। इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल बीमार लोगों को लाने ले जाने द्वीप पर फंसे लोगों को निकालने के लिए किया जाता है। पिछले महीने से ये हेलीकॉप्टर मरम्मत के काम के लिए खड़े कर दिए गए हैं। इनसे बीमार लोगों को लाने लेजाने का काम नहीं लिया गया है। 

पूर्व पीएम राजीव गांधी द्वारा हेलीकॉप्टर सेवाओं के दुरुपयोग का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी रैली के दौरान उठाया था। इसके बाद से यह मुद्दा सुर्खियों में छाया हुआ है। 

लक्ष्यद्वीप की भौगोलिक परिस्थिति और तत्काल एवं प्रभावी ट्रांसपोर्ट की जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पवन हंस के दो हेलीकॉप्टर मंजूर किए थे। इनके द्वारा आपात स्थिति में इस द्वीप को देश के भूभाग से जोड़ा जाना था। पहले हेलीकॉप्टर 1987 जबकि दूसरे 2009 में उपलब्ध कराया गया। 

लक्ष्यद्वीप के प्रशासक की ओर से पिछले सप्ताह भेजे गए पत्र के मुताबिक, 'ये हेलीकॉप्टर मुख्यतः 'एयर एंबुलेंस' के तौर पर काम में लाए जाते हैं। तत्काल चिकित्सीय मदद की जरूरत पड़ने पर इन हेलीकॉप्टर की सेवाएं ली जाती हैं। लक्ष्यद्वीप के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने साल 2018 में तीसरे हेलीकॉप्टर की मंजूरी दी थी। मार्च से जून के बीच तीसरे हेलीकॉप्टर के लिए पायलट उपलब्ध नहीं था। इसका इस्तेमाल दूसरे हेलीकॉप्टरों में तकनीकी खामी आने की स्थिति में किया जाता था।' 

अपनी समस्या और हेलीकॉप्टर सेवाओं पर लगी रोक के कारणों का ब्यौरा देते हुए प्रशासन ने कहा है, 'पिछले साल जून से सितंबर तक पायलट तैनात थे। इस समयावधि में सभी तीन हेलीकॉप्टर काम कर रहे थे।' हालांकि सितंबर 2018 में तीसरा हेलीकॉप्टर भी मरम्मत के लिए मुंबई चला गया। तब से लेकर आज तक यह हेलीकॉप्टर वापस नहीं लौटा। इस बात को आठ महीने का समय गुजर चुका है। कई बार रिमाइंडर भेज जाने के बावजूद पवनहंस ने हमें जवाब देना भी उचित नहीं समझा। शेष बचे हुए दो हेलीकॉप्टर भी पिछले छह महीने से लगातार और प्रभावी तरीके से काम नहीं कर रहे। 

केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को बीमार लोगों को लाने-लेजाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मानसून से पहले सिर्फ एक ही हेलीकॉप्टर उपलब्ध होने के चलते प्रशासन को लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से केंद्रीय गृहमंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह फिर से दोनों हेलीकॉप्टरों की तैनाती के लिए पवन हंस से बात करे। साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर ऐसा नहीं होता है प्रशासन को निजी हेलीकॉप्टर सेवाओं का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए।