अभी तक कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए की तरफ से उपसभापति पद के लिए डीएमके के सांसद तिरुची शिवा का नाम चर्चा में था। लेकिन कांग्रेस के हार के डर से प्रत्याशी को बदलने की रणनीति बना रही है।
नई दिल्ली। मानसून सत्र से पहले राज्यसभा उपसभापति के चुनाव के लिए एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह के मुकाबले के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों का संयुक्त प्रत्याशी को बदल सकती है। इसे डीएमके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि राजद सांसद मनोज झा विपक्ष की ओर से प्रत्याशी बनाये जा सकेत हैं। वहीं अभी तक डीएमके के तिरुची शिवा को प्रत्याशी बनाने की बात चल रही थी।
अभी तक कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए की तरफ से उपसभापति पद के लिए डीएमके के सांसद तिरुची शिवा का नाम चर्चा में था। लेकिन कांग्रेस के हार के डर से प्रत्याशी को बदलने की रणनीति बना रही है। कांग्रेस एनडीए को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है। असल में संख्या को देखते हुए विपक्षी प्रत्याशी की हार तय है। अगर ऐसा होता तो ये कांग्रेस और विपक्षी दलों की हार होगी। क्योंकि ये पद एनडीए को मिल जाएगा। वहीं कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि विपक्ष संयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारेगा।
लेकिन यूपीए के पास जीत के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है। फिलहाल कांग्रेस यूपीए की तरफ से राज्यसभा उपसभापति के लिए एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ राजद के सांसद मनोज झा को प्रत्याशी बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। जानकारी के मुताबिक राज्यसभा उपसभापति पद का चुनाव संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन यानी 14 सितंबर को होगा और इसके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 11 सितंबर है। एनडीए प्रत्याशी और सांसद हरवंश नारायण सिंह ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं। जबकि यूपीए और विपक्ष अभी तक इस पर स्थिति साफ नहीं कर सका है। वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में उपसभापति के लिए विपक्ष की ओर संयुक्त अपना प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया गया था।
जबकि यूपीए के पास जीत के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है। वहीं सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा और पहले दिन ही चुनाव होने है। वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के पास महज 70 सांसद हैं। लिहाजा कांग्रेस की नजर अन्य दलों के सदस्यों पर लगी है। हालांकि बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस राज्यसभा में अभी तक एनडीए के साथ खड़ी रही है। लिहाजा अगर इन दोनों दलों का साथ एनडीए को मिलता है तो उसकी जीत तय है। एनडीए के पास कुल 116 सदस्यों का समर्थन है और उसे जीत के लिए महज 10 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है।
Last Updated Sep 10, 2020, 6:40 PM IST