नई दिल्ली। आज देशभर में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा रहा है और आज सोमवार के साथ ही और पूर्णिमा का योग बना रहा है। ज्योतिषों के मुताबिक भगवान महादेव की विशेष कृपा से इस बार रक्षा बंधन त्योहार शताब्दी में पहली बार चतुर्योग बना रहा है। सर्वार्थ-सिद्धि योग आयुष्मान योग के चलते सबको दीर्घायु का वरदान देगा। वहीं रक्षा बंधन में इस बार भद्रा और राहुकाल 9.30 से पहले ही खत्म हो रहे हैं और चतुर्योग में आज भाई-बहन की सभी इच्छाएं पूरी होंगी।

ज्योतिषाचार्य जैनेन्द्र पांडे के मुताबिक आज रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के साथ-साथ सावन का आखिरी सोमवार है यानी भगवान शिव का दिन। जो सभी कष्टों को हरते हैं और अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। वहीं आज पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा। सोमवार होने के कारण इस बार रक्षाबंधन के दिन की शुभता बढ़ जाएगी। उनका कहना है कि आज सुबह 9.28 मिनट तक भद्रा रहेगी। वहीं इसके बाद बहनें अपने भाइयों के हाथों में राखी बांधेंगी।

इस बार की खास बात ये है कि भद्रा के साथ ही राहुकाल भी खत्म हो जाएगा। उनका कहना है कि इस बार शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग बुधादित्य योग व शनि चंद्र के मिलन से विश्व योग यानी चतुर्योग बना रहे हैं।

राहुकाल प्रातः 07.30 मिनट से 9 बजे तक। 
आज सुबह 9.28 मिनट तक भद्रा 
पूर्णिमा तिथि रात्रि 09.29 मिनट तक उपरांत प्रतिपदा तिथि का आरंभ


जानें राखी बंधन का मुहूर्त

शुभ योग : सुबह 9:31 बजे से 10:46 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक
अपराहन मुहूर्त : दोपहर 1:48 बजे से शाम 4:29 बजे तक
लाभ मुहूर्त : दोपहर 3:48 बजे से शाम 5:29 बजे तक
संध्या अमृत मुहूर्त : शाम 5:29 बजे से 7:10 बजे तक
प्रदोष काल : शाम 7:06 बजे से रात 9:14 बजे तक

कैसे बांधे राखी

ज्योतिषाचार्य जैनेन्द्र पांडे के मुताबिक सबसे पहले राखी की थाली सजाएं और थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें। इसके बाद भाई को तिलक लगाएं और उनके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें। भाई के हाथ में राखी बांधने के बाद उनकी आरती उतारें और उनका मुंह मीठा करें।

क्या बन रहे हैं योग

ज्योतिषाचार्य जैनेन्द्र पांडे के मुताबिक आज कई तरह के योग बन रहे हैं। आज भगवान शिव के खास महीने सावन की पांचवां सोमवार है और आज ही श्रावणी पूर्णिमा , बुधादित्य योग,विषयोग व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। पूर्णिमा के दिन के देवता चंद्रदेव को माना जाता है और वहीं सोमवार भगवान शिव का दिन है। भगवान शिव के माथे पर चंद्रदेव वास करते हैं। जबकि आज के ही दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ही देवताओं ने राक्षसों पर जीत प्राप्त की थी। उनके मुताबिक आज के दिन भगवान शिव की आराधना करने से कष्ट देने वाले ग्रहों से मुक्ति मिलेगी।