सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा कि उसकी मंशा विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के बारे में जल्द आदेश देने की है। कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध कराएं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा कि वे आज ही संभावित नाम उपलब्ध कराएं। पीठ ने कहा कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने या नहीं भेजने के बारे में इसके बाद ही आदेश दिया जायेगा।    

हिंदू महासभा ने पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा, पूर्व सीजेआई जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक के नाम मध्यस्थता के लिए दिए हैं। महासभा आपसी बातचीत के लिए तैयार है। उधर, निर्मोही अखाड़ा ने मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ, एके पटनायक और जीएस सिंघवी के नाम दिए हैं।

इससे पहले, उत्तर प्रदेश राज्य सहित हिंदू पक्षकारों ने अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया। भाजपा नेता और याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता बेकार कवायद है। उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'मध्यस्थता उचित और विवेकपूर्ण नहीं होगा।' राम लला की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने मध्यस्थता का विरोध किया और अदालत से कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि विश्वास व मान्यता का विषय है और वे मध्यस्थता में विरोधी विचार को आगे नहीं बढ़ा सकते।

सुनवाई के दौरान जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि यह मामला भावनाओं के बारे में है, धर्म के बारे में और विश्वास के बारे में है। हम विवाद की गंभीरता के प्रति सचेत है। जस्टिस बोबडे ने कहा कि इसमें केवल एक मध्यस्थ की जरूरत नहीं है बल्कि मध्यस्थों का पूरा पैनल ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो पहले हुआ उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। हमें मौदूगा विवाद के बारे में पता है। हम केवल विवाद को सुलझाने के बारे में चिंतित हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 याचिकाएं दायर की गई हैं। दरअसल, हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाया है।