नई दिल्ली--राम मंदिर निर्माण की बढ़ती मांग के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेला है। केंद्र सरकार राम जन्मभूमि विवाद मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने रिट दायर करते हुए अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इसपर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है।

सरकार ने अपनी अपील में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है ताकि गैर विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण शुरू हो सके।

गौरतलब है कि 1200 वर्ग फीट जमीन पर है विवाद जिसमें सीता रसोई और रामलला जहां पर वर्तमान में विराजमान हैं। इधर सरकार के इस कदम का वीएचपी और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है।

माना जा रहा है राम जन्मभूमि विवाद मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चला है। ये 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन सहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था। 

1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल तमाम याचिकाओं को खत्म कर दिया था। सरकार के इस ऐक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

तब सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी जजमेंट में 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट (अर्जी) को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास ही रखने को कहा था और निर्देश दिया था।

इस विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना था कि जब अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट 1993 में लाया गया तब उस ऐक्ट को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब यह व्यवस्था दी थी कि ऐक्ट लाकर सूट को खत्म करना गैर संवैधानिक है। पहले अदालत सूट पर फैसला ले और जमीन को केंद्र तब तक कस्टोडियन की तरह अपने पास रखे। कोर्ट का फैसला जिसके भी पक्ष में आए, सरकार उसे जमीन सुपुर्द करे।