भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य एस गुरुमूर्ति ने कहा है कि यदि नवंबर, 2016 में नोटबंदी नहीं की गई होती, तो अर्थव्यवस्था ढह जाती। उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के नोटों जैसे बड़े मूल्य के नोटों का इस्तेमाल रीयल एस्टेट तथा सोने की खरीद में किया जाता था। 

गुरुमूर्ति विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में एक व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से 18 माह पहले 500 और 1,000 रुपये के नोट 4.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए थे। रीयल एस्टेट और सोने की खरीद में इन नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा था। यदि नोटबंदी नहीं होती तो हमारा हाल भी 2008 के सब प्राइम कर्ज संकट जैसा हो जाता। गुरुमूर्ति ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो भारतीय अर्थव्यवस्था ढह जाती। यह एक सुधारात्मक उपाय था। 

गुरुमूर्ति ने रिजर्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में बदलाव की वकालत की है। उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 9.6 करोड़ रुपये का आरक्षित भंडार है और दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक के पास इतना आरक्षित भंडारण नहीं है। कुछ महीने पहले ही आरबीआई बोर्ड के निदेशक नियुक्त किए गए गुरूमूर्ति ने कहा कि भारत में निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात एक प्रतिशत है जो बेसेल के वैश्विक नियम से ज्यादा है। उन्होंने छोटे एवं मंझोले उद्योगों के लिए कर्ज नियमों को आसान बनाने की भी वकालत की जो देश की जीडीपी का 50 प्रतिशत है। 

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आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच विवाद शुरू होने के बाद सार्वजनिक तौर पर पहली बार टिप्पणी करते हुए गुरुमूर्ति ने कहा कि यह गतिरोध अच्छी बात नहीं है। आरबीआई के बोर्ड की बैठक सोमवार को होनी है जिसमें पीसीए के नियमों को सरल करना, आरक्षित भंडारण को कम करने और एमएसएमई को ऋण बढ़ाने समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। 

आरबीआई के पूंजी ढांचे के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 27-28 प्रतिशित का आरक्षित भंडार है जो रुपये के मूल्य में आई हालिया गिरावट के कारण और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, 'आप यह नहीं कह सकते हैं कि इसके पास बहुत आरक्षित भंडार है और वे धन मुझे दें दें। मेरे ख्याल से सरकार भी यह नहीं कह रही है। जहां तक मेरी समझ है सरकार एक नीति बनाने के लिए कह रही है कि केंद्रीय बैंक के पास कितना आरक्षित भंडार होना चाहिए। अधिकतर केंद्रीय बैंकों के पास इतना आरक्षित भंडार नहीं होता है जिनता आरबीआई के पास है।'